गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी जैसी नदियों की अविरल धारा और निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए जल विशेषज्ञों ने तालाबों, छोटी नदियों को बचाने के कार्य से ग्राम पंचायतों को जोड़ने तथा नदियों को बांधे और जोड़े बिना बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति से बचने का नया विज्ञान खोजने की जरूरत बतायी है।
लगातार दो सालों तक सूखे के बाद भारत में औसत बारिश हुई है। बारिश अगस्त के अंत तक 100 फीसदी के औसत से 2 प्रतिशत कम थी। लेकिन इसके बावजूद देश के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से में कम बारिश हुई है। जिस कारण से यहां सूखे का संकट उत्पन्न होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि इस वर्ष कम मॉनसून की कोई संभावना नहीं है और 96 फीसदी गुंजाइश है कि इस साल सामान्य या अत्यधिक वर्षा होगी। यह खबर सूखे की मार झेल रहे किसानों और गर्मी से हलकान लोगों के लिए राहत देने वाली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों से सूखे और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की। मंगलवार को प्रधानमंत्री ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के अलावा प्रमुख अधिकारियों के साथ मंत्रणा की।
देश के 13 राज्य गंभीर सूखे के संकट से जूझ रहे हैं। देश में औसतन हर साल 30 हजार हेक्टेयर खेती योग्य भूमि कम हो रही है। पर्यावरणविदों ने सरकार से मांग की है कि सूखे की समस्या के निपटारे के लिए दीर्घाकालीन पहल करने की जरूरत है।
सूखे का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ने लगा है। बालश्रम के लिए कार्यरत संस्था बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने सूखे से प्रभावित बच्चों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है।