यदि फिल्मों का खुमार है तो रंगमंच की दीवानगी भी कुछ कम नहीं है। कुछ तो खास है मंच के इन किरदारों में कि दर्शक बेसब्री से चले आते हैं और इंतजार करते हैं, यवनिका के उठने का।
सिर पर सुर्ख गुलाबी रंग की साड़ी का पल्लू , कंधों पर शॉल लपेटे हुए साठ वर्षीय रतन कंवर अपने काम में मग्न हैं। उनकी टेबल पर बिजली की तारें बिखरी हुई हैं और आसपास सौर लैंप रखे हैं। पेचकस हाथ में लिए वह कलपुर्जे के किसी बारीक पेच को सुलगा रही हैं। पूछे जाने पर ठेठ राजस्थानी में बताती हैं ‘ सूरज लालटण बणा री सूं । ‘ रतन कंवर जयपुर के ओखड़ास गांव की रहने वाली हैं। दस साल पहले इनके पति का देहांत हो गया था। दो शादीशुदा बेटे और दो बेटियां हैं लेकिन सभी अपनी जिंदगी में मसरूफ हैं। रतन कंवर का कहना है कि यहां यह काम सीखने के बाद वह अपने गांव लौटकर सौर लैंप और लालटेन बनाएंगी और उसे मरक्वमत करने का काम भी करेंगी। पढ़ाई-लिखाई के मामले में रतन कंवर के पास बताने को कुछ भी नहीं है लेकिन इस उम्र में इस विधा को सीखने के उनके जज्बे को सलाम है।
बिहार का कोशी क्षेत्र लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी नीत एनडीए के लिए बुरा सपना साबित हुआ था। यहां पर एनडीए को एक भी सीट जीतने में कामयाबी नहीं मिली थी। कभी कांग्रेस का गढ़ रहा यह क्षेत्र कालांतर में पहले लालू प्रसाद और फिर जद-यू-भाजपा का दुर्ग बना मगर लोकसभा चुनाव में यहां मिली हार ने भाजपा को इस क्षेत्र में नई रणनीति बनाने के लिए मजबूर कर दिया।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने फेसबुक एकाउंट बंद किए जाने को लेकर अपना विरोध कुछ इस तरह से दर्ज कराया है। पढ़े दिलीप मंडल का पत्र जो उन्होने फेसबुक के लिए लिखा है। उनसे कोई शिकायत नहीं है, जो मेरे नाम की नक़ली प्रोफ़ाइल बनाकर उसपर कुछ कुछ लिख रहे हैं। यह सब शरीर से बड़े हो चुके कुछ बच्चों का खेल है। डायपर पहनकर जो विरोध और विमर्श का तमाशा कर रहे हैं, उन बेचारों पर तो नाराज़ हो पाना भी मुश्किल है। उनकी भाषा उनका परिचय है, उनके हिसाब से उनका "संस्कार" है। प्लीज़, उन्हें माफ़ कर दीजिए।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के फेसबुक एकाउंट को बिना कारण बताए ही फेसबुक ने बंद कर दिया है। इसको लेकर मीडिया जगत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दिलीप मंडल ने बताया कि फेसबुक ने बिना किसी सूचना या चेतावनी के ही उनका एकाउंट बंद कर दिया है।
1990 में जब प्रधानमंत्री विश्वनाथ सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशाें को लागू करने का कदम उठाया तो उस समय पूरी सियासत ही गरमा गई। जगह-जगह वीपी सिंह के पुतले फूकें जा रहे थे और उनकी सरकार भी गिरा दी गई। पच्चीस साल बाद भी मंडल आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं। मंडल आयोग की रिपोर्ट में 13 अनुशंसाएं की गई थीं लेकिन दो ही अनुशंसाएं लागू हो पाईं।
मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के पच्चीस साल पूरे होने पर आरक्षित कौमों को बधाई देता हूं। साथ ही मैं सुप्रीम कोर्ट का भी शुक्रगुजार हूं कि आरक्षण को लेकर कई तरह की बाधाएं पैदा हुई लेकिन हर बात जीत हमारी हुई। जिस दिन मंडल कमीशन लागू किए जाने की घोषणा हुई उस दिन से लेकर आज-तक लगातार किसी न किसी कारण से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जाती रही है। लेकिन इसमें जीत हमेशा आरक्षित कौमों की हुई।
सौर उर्जा की लागत कम करने के लिए प्रतिष्ठित एस एन बोस इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंसेज के शोधकर्ता ऐसा विचार लेकर आए हैं, जिसके जरिये सौर पैनलों के निर्माण के लिए सिलिकॉन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और विधायक मनोज तिवारी ने धारचुला आधार शिविर से वार्षिक कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज रवाना किया।