सरकार के सभी कंपनियों से उनकी टेलीफोन सेवा की आय पर 4.5 प्रतिशत की घटी दर से एक समान सालाना स्पेक्ट्रम शुल्क लगाने के प्रस्ताव को लेकर दूरसंचार कंपनियों के बीच भारी मतभेद पैदा हो गए हैं।
मनमोहन सिंह की ईमानदारी और भलमनसाहत पर कोई प्रश्न नहीं उठाया गया। यह तर्क भी दिया जाता है कि वह राजनीतिज्ञ ही नहीं हैं। उनके वित्त मंत्री रहते शेयर घोटाले जैसे आरोप आने पर सारा कीचड़ नरसिंह राव के सिर पर उलट दिया गया। 2004 से 2014 तक दस वर्ष प्रधानमंत्री रहते हुए सरकार पर घोटालों और भ्रष्टाचार के गंभीरतम आरोप लगे एवं कांग्रेस पतन के गर्त तक पहुंच गई।
संसद में पेश सीएजी (कैग) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में पहले 22,842 करोड़ रुपये का रिलायंस जियो को 'अनुचित लाभ’ देने की बात कही गई मगर फाइनल रिपोर्ट में आश्चर्यजनक रूप से यह रकम घटकर 3,367 करोड़ रुपये हो गई। दिलचस्प यह है कि आरबी सिन्हा, जिनकी निगरानी में ये ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार हुई, उनका इसी महीने तबादला हो गया।
उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न दूरसंचार कंपनियों की मौजूदा लाइसेंस की अवधि बढ़ाने की याचिकाएं खारिज कर दीं। वोडाफोन और भारती एयरटेल सहित कई कंपनियों ने न्यायालय से उनके स्पेक्ट्रम लाइसेंस की अवधि बढ़वाने का अनुरोध किया था।
स्पेक्ट्रम नीलामी में आइडिया सेल्युलर के पास मौजूद 9 लाइसेंस क्षेत्रों रिलायंस टेलीकॉम और वोडाफोन दोनों के 7-7 लाइसेंस क्षेत्रों और भारती एयरटेल के 6 लाइसेंस क्षेत्रों के स्पेक्ट्रम शामिल हैं। इन क्षेत्रों में इन कंपनियों के लाइसेंस की मियाद 2015-16 में समाप्त हो रही है।