अट्ठाइस साल पहले हिरासत में पीएसी द्वारा मारे गए हाशिमपुरा के ४२ मुसलमानों की हत्या का कोई दोषी नहीं ठहराया गया। निचली अदालत द्वारा सबूतों के अभाव में सभी १६ आरोपियों को बरी करने के खिलाफ लोगों में आक्रोश है।
हाशिमपुरा में 42 मुसलमानों की हत्या के आरोपी पीएसी कर्मियों में से जीवित 16 लोगों को बरी किए जाने को कांग्रेस ने अन्याय बताते हुए मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालतों में अपील करनी चाहिए।
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पास सीआइडी की जांच को इरादतन नजरंदाज किया गया। पीएमओ को भेजे गए गोपनीय नोट में कहा गया कि सेना बयान दर्ज कराने को तैयार नहीं है। फिर भी इस पर क्यों नहीं पीएमओ ने कार्यवाई की?
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सम्मेलन में सरकारी रवैये से असंतोष। देश भर में अल्पसंख्यकों के हक-हकूक की जमीन तेजी से छीजती जा रही है। उनके खिलाफ जितने भी संगठित हमले, नरसंहार हुए, उसमें से इक्का-दुक्का को छोड़ कर शायद ही किसी में अदालत से न्याय मिला हो।
हाशिमपुरा फैसले के खिलाफ मुखर हुआ हाशिमपुरा में २८ साल पहले पीएसी द्वारा मारे गए लोगों पर आए अदालती फैसले के खिलाफ गोलबंदी तेज। पीड़ितों के साथ अन्य संगठनों ने बैठकों, प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू
27 साल पहले मेरठ के हाशिमपुरा में 40 मुसलमानों के कत्लेआम के मुकदमे में 16 पीएसी जवानों को सबूत के अभाव के आधार पर रिहा कर दिया गया। पीड़ितों को पुनर्वास का मामला राज्य विधि सेवा अधिकरण के हवाले किया।