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मिसिंग पर्सन पुस्तक हिंदी में

मिसिंग पर्सन पुस्तक हिंदी में

हर व्यक्ति का अपना एक अतीत होता है। बल्कि कहना गलत न होगा कि हमारा वर्तमान हमारे अतीत की नींव पर टिका होता है। ऐसे में अगर हमारे भीतर से अतीत विस्मृत हो जाए तो हमारा पूरा वजूद डावांडोल होने लगता है। हम अपनी पहचान के संकट से आक्रांत हो उठते हैं। ऐसे में किसी संवेदनशील व्यक्ति का अपने अतीत की तहों में उतरकर स्मृतियों के रेशे तलाशना स्वाभाविक है।
‘पंजाबी नहीं था इसलिए जेटली ने दिल्ली से नहीं लड़ने दिया’

‘पंजाबी नहीं था इसलिए जेटली ने दिल्ली से नहीं लड़ने दिया’

मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में नामित किए गए सुब्रह्मण्यम स्वामी लंबे समय से गांधी परिवार को निशाना बना रहे हैं और राज्यसभा में अपनी नई पारी में भी उनके तेवर वैसे ही हैं। कांग्रेस के नेता उनके बयानों से लगातार असहज होते रहे हैं मगर अब बारी शायद खुद भारतीय जनता पार्टी की है।
प्रबंधन, आईटी, विधि की पढ़ाई हिंदी में कराने की पहल

प्रबंधन, आईटी, विधि की पढ़ाई हिंदी में कराने की पहल

हिंदी भाषी छात्रों के लिए प्रबंधन, आईटी, फिल्म, पत्रकारिता जैसे विषयों में रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा ने इन विषयों में हिंदी माध्यम में पाठ्यक्रम तैयार किए हैं और शिक्षा को आगे बढ़ाने की पहल की है।
हिंदी नहीं अंग्रेजी नाम का संक्षिप्त स्वरुप है नीति आयोग

हिंदी नहीं अंग्रेजी नाम का संक्षिप्त स्वरुप है नीति आयोग

योजना आयोग के स्थान पर बनी नई संस्था नीति आयोग दरअसल हिन्दी नहीं बल्कि इसके अंग्रेजी नाम नेशनल इंस्टीट्यूट फार ट्रांसफार्मिंग इंडिया का संक्षिप्त स्वरूप है। नीति अंग्रेजी वर्णों का प्रतिनिधित्व करता है।
राजकोषीय घाटा नहीं, मांग बढ़ाने की चिंता जरूरी: प्रो. अरुण कुमार

राजकोषीय घाटा नहीं, मांग बढ़ाने की चिंता जरूरी: प्रो. अरुण कुमार

जाने-माने अर्थशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर अरुण कुमार देश में मौजूदा आर्थिक हालात को वैश्विक आर्थिक सुस्ती की देन मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि हर सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही चिंतित रहती है और उसी मुताबिक बजट बनाकर किसी लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहती है। इसे वह गलत धारणा मानते हैं। आउटलुक के राजेश रंजन से बातचीत में उन्होंने रोजगार, घरेलु मांग, विकास दर आदि बढ़ाने पर जोर दिया।
संसद में उठा महंगे हिंदी एसएमएस का मुद्दा

संसद में उठा महंगे हिंदी एसएमएस का मुद्दा

अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी में मैसेज भेजना समाज के एक बड़े तबके के लिए सुविधाजनक होता है मगर मुश्किल यह है कि अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी में एसएमएस संदेश में चूंकि ज्यादा की स्ट्रोक इस्तेमाल होती है इसलिए एक ही संदेश के लिए अंग्रेजी की बनिस्पत हिंदी में ज्यादा पैसे खर्च होते हैं। अब इस चिंता को संसद में भी व्यक्त किया गया है।
मोबाइल फोन पर स्थानीय भाषा सपोर्ट होगा अनिवार्य

मोबाइल फोन पर स्थानीय भाषा सपोर्ट होगा अनिवार्य

अब आप मोबाइल फोन पर अंग्रेजी के अलावा हिंदी तथा कम से कम एक क्षेत्रीय भाषा के लिए प्रणाली रखना अनिवार्य होगा। दूरसंचार विभाग अगले तीन-चार महीने में इस तरह का नियमन लेकर आ रहा जिसके तहत मोबाइल फोन को हिंदी तथा एक क्षेत्रीय भाषा के अनुकूल बनाना अनिवार्य होगा।
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