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Search Result : "हिंदुत्व की पहेली"

धार्मिक गुरुओं के खिलाफ चुनाव कानून कैसे लागू होगाः सुप्रीम कोर्ट

धार्मिक गुरुओं के खिलाफ चुनाव कानून कैसे लागू होगाः सुप्रीम कोर्ट

दो दशक पुराने हिंदुत्व संबंधी फैसले की जांच कर रहे उच्चतम न्यायालय ने आज पूछा कि किसी खास पार्टी या उम्मीदवार के लिए मतदाताओं से वोट मांगने पर चुनाव नहीं लड़ रहे आध्यात्मिक नेताओं या धार्मिक गुरुओं को चुनाव कानून के तहत भ्रष्ट क्रियाकलापों के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है या नहीं?
जबरिया धर्मांतरण को मोहन भागवत ने हिंदुत्व के खिलाफ बताया

जबरिया धर्मांतरण को मोहन भागवत ने हिंदुत्व के खिलाफ बताया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदू परंपरा में किसी व्यक्ति के मानवाधिकार का उल्लंघन कर जबरन धर्म बदलने की इजाजत नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदुत्व एक परंपरा है। यह हर व्यक्ति को स्वीकार करने और उसका आदर करने में विश्वास करता है। लंदन में संघ प्रमुख भागवत 'पहचान और एकता' विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।
विचार कुंभ से हिंदुत्व और मानवता की लॉन्चिंग करेंगे मोदी

विचार कुंभ से हिंदुत्व और मानवता की लॉन्चिंग करेंगे मोदी

उज्जैन के सिंहस्थ में ;चल रहे भाजपा के विचार कुंभ में भाजपा नेतृत्व के साथ-साथ जुटेंगे अंतर्राष्ट्रीय नेता, प्राधनमंत्री जारी करेंगे सिहंस्थ घोषणापत्र
गंगा-जमुनी संस्‍कृति पर हमलों का दौर

गंगा-जमुनी संस्‍कृति पर हमलों का दौर

देश इस समय विभिन्न क्षेत्रों में पतन की राह पर अग्रसर है। धर्मनिरपेक्षता, अनेकता, और भारतीय राष्ट्रीयता को राजनैतिक तौर पर कमजोर किए जाने के अलावा सांस्कृतिक बहुलता और मेलजोल की परंपरा पर भी कुठाराघात हो रहा है।
कहानी - सुख पहेली

कहानी - सुख पहेली

रामधारी सिंह दिवाकर ग्रामीण जीवन के कथा शिल्पी के तौर पर जाने जाते हैं। पाठकों के बीच उनकी प्रसिद्धि गांव के जीवन को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करने वाले कहानीकार की है। उनके बारह कहानी संग्रह और सात उपन्यास हैं। इसके अलावा शोध, आलोचना, संस्मरण आदि पर भी दर्जनों पुस्तकें हैं।
निर्यात हिंदुत्व और जाति का

निर्यात हिंदुत्व और जाति का

जातिगत उत्पीडऩ और भेदभाव के खिलाफ मुखर होता दलित डायस्पोरा इससे चिंतित।भारतीय डायस्पोरा का यह दलित स्वर या दलित डायस्पोरा दुनिया के तमाम बड़े देशों में धीरे-धीरे मजबूत होता दिख रहा है। गैर दलित डायस्पोरा ने तो बड़ी तादाद में (सबने नहीं) अपनी राजनीति स्पष्ट कर दी है, अपना झुकाव स्पष्ट कर दिया है, दलित डायस्पोरा अभी उसके साथ खड़ा नहीं दिख रहा। भारत की नई सरकार से उसे भी अपेक्षाएं हैं। वह भी बेहतर सुविधाओं और व्यापार की संभावनाओं के प्रति आशावान है लेकिन जाति तथा जातिगत उत्पीडऩ के सवाल पर फिलहाल कोई समझौता करता नहीं दिखता।
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