एक ओर जहां पीएम मोदी देश के कोने-कोने में जाकर लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ा रहे हैं, वहीं इस अभियान को लेकर एक भाजपा सांसद का सोशल मीडिया पर मजाक उड़ाया जा रहा है।
21वीं सदी के 16वें साल में हिन्दी अपने मिजाज के मुताबिक व्याकरण की जकड़बंदी से निकलकर उर्दू मिश्रित हिन्दुस्तानी से होते हुये अंग्रेजीनुमा हिंग्लिश की ओर बढ़ती रही। बोलचाल अथवा संप्रेषण के स्वनियम पर आधारित हिन्दी में इस साल जहां एक ओर अन्य भाषाओं और ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न इलाकों से आने वाले शब्दों को जगह मिली, वहीं दूसरी ओर फेसबुक-ट्विटर और कंप्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल से हैश-टैग और एट दि रेट आॅफ जैसे निशान भी हिन्दी में शामिल होते गये।
इस वर्ष साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित पुरस्कार हिन्दी के लिए नासिरा शर्मा, उर्दू के लिए निज़ाम सिद्दीकी, अंग्रेजी के लिए जेरी पिंटो और संस्कृत के लिए सीतानाथ आचार्य शास्त्री सहित 24 भाषाओं के रचनाकारों को देने का आज ऐलान किया गया।
राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा का कहना है कि कोई भी भाषा हिन्दी का स्थान नहीं ले सकती क्योंकि यह आम आदमी की भाषा है। ऐसे में हिन्दी को उच्च शिक्षा में शिक्षा का माध्यम (एमओआई) बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। चंद्रा ने यह बातें साहित्य अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहीं।
हिन्दी उत्सव- हिन्दी दिवस- पखवाड़ा। राष्ट्रभाषा की गौरव गाथा और जयकार। संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी की मान्यता के लिए प्रधानमंत्रियों द्वारा सौ-सौ करोड़ तक खर्च की घोषणाएं। दुनिया के 130 विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा की पढ़ाई की व्यवस्था। बॉलीवुड से दक्षिण भारत ही नहीं यूरोप, अमेरिका, एशिया ही नहीं अफ्रीका में भी हिन्दी फिल्मों और गानों की गूंज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पहले जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा राष्ट्रभाषा हिन्दी को सही गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के संकल्प, संघर्ष, वायदे और एक हद तक उपलब्धियां भी। लेकिन असलियत में भारत की तरक्की के साथ हिन्दी को समुचित महत्व कहां मिल पाया है?
हिन्दी फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के सितारे काफी बुलंद चल रहे हैं। हाल ही में शुरू हुए अमेरिकी टीवी सीरिज क्वांटिको में अपनी भूमिका के लिए सराहना हासिल करने वाली प्रियंका अब जल्द ही 1990 के दशक में आई लोकप्रिय टीवी सीरिज बेवाच के फिल्म संस्करण में नजर आएंगी।