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बिहार में विकास को नहीं मिल रही रफ्तार

बिहार में विकास को नहीं मिल रही रफ्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य को विशेष पैकेज क्या दिया यही पैकेज केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल राज्य के मंत्रियों के लिए बड़ा हथियार बन गया है। केंद्रीय मंत्री इसी पैकेज का जिक्रकर उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं और राज्य सरकार को कोस रहे हैं कि विकास के लिए मिल रही धनराशि का राज्य उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
‘नहीं मिल सकती राष्ट्रपति की कारों की जानकारी’

‘नहीं मिल सकती राष्ट्रपति की कारों की जानकारी’

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली कारों के निर्माण, मॉडल नंबर और रजिस्ट्रशन नंबर की जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है और इस तरह की जानकारी सार्वजनिक करने से देश के प्रथम नागरिक के लिए खतरा हो सकता है। मंत्रालय ने जिस सूचना को देने से मना कर दिया है वह अपुष्ट सूत्रों के हवाले से सोशल मीडिया पर उपलब्ध है।
पनामा लीक पर ऐश्वर्य की चुप्पी

पनामा लीक पर ऐश्वर्य की चुप्पी

अपनी नई फिल्म सरबजीत के लिए शूटिंग कर रही ऐश्वर्या राय को पनामा पेपर का भूत छोड़ नहीं रहा है। इस फिल्म के सिलसिले में वह जहां भी जा रही हैं पत्रकार उनसे पनामा के बारे में ही पूछ रहे हैं।
कर्नाटक: फिर लीक हुआ 12वीं का केमिस्ट्री का पेपर, 40 लोग सस्पेंड

कर्नाटक: फिर लीक हुआ 12वीं का केमिस्ट्री का पेपर, 40 लोग सस्पेंड

कर्नाटक में गुरूवार को दस दिनों में दूसरी बार 12 वीं कक्षा के रसायन शास्त्र का प्रश्नपत्र लीक हो गया जिसके कारण परीक्षा को रद्द करने पर बाध्य होना पड़ा। प्रश्नपत्र लीक होने और परिक्षा रद्द किए जाने से नाराज छात्रों और उनके अभिभावकों ने इसका कड़ा विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया।
आजम का आरोप मायावती ने चीनी मिल औने-पौने दाम पर बेचा

आजम का आरोप मायावती ने चीनी मिल औने-पौने दाम पर बेचा

उत्तर प्रदेश विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री आजम खां द्वारा पूर्व की बसपा सरकार पर चीनी मिलोें को औने-पौने दाम पर बेचने का आरोप लगाये जाने के बाद हंगामा हो गया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को किया सर्वाधिक भुगतान- राजेंद्र चौधरी

उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को किया सर्वाधिक भुगतान- राजेंद्र चौधरी

उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा है कि गन्ना किसानों को प्रदेश सरकार ने सर्वाधिक भुगतान किया है। आउटलुक के 1 से 15 फरवरी के अंक में गन्ना किसानों की बदहाली को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें किसानों ने अपना गुस्सा जाहिर किया है।
किसान की लाठी नहीं है अब गन्ना

किसान की लाठी नहीं है अब गन्ना

एक दौर था जब प्रदेश के किसान नकदी फसल गन्ने को अपनी लाठी मानते थे। सूबे की 124 चीनी मिलें सूरसा के मुंह जैसी खेतों की ओर ताकती रहती थीं और दिन रात गन्ने की ही फरमाईश करती थीं मगर अब यह लाठी जैसे टूट गई है और 'सुरसा’ भी न जाने कहां बिला गई है। प्रदेश में गन्ने की फसल को राजनीति का ऐसा घुन लगा है कि खेत, फसल और किसान सब चौपट हो रहे हैं। आलम यह है कि गन्ना उगाने की लागत सवा तीन सौ रुपए क्विंटल आ रही है मगर किसान को मिल रहे हैं मात्र 280 रुपए। वह भी रुला-रुलाकर।
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