इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.1 फीसदी रही थी। अर्थशास्त्री जीडीपी ग्रोथ में गिरावट की मुख्य वजह नोटबंदी को मान रहे हैं।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर की धीमी रफ्तार की वजह अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने मोदी सरकार द्वारा अचानक की गई नोटबंदी, आरबीआई की पॉलिसी और रुपये की मजबूती को बताया है।
आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर मई में घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई है। खासतौर से कोयले और उर्वरक सेक्टर में कमजोरी के कारण वृद्धि दर में यह कमी आई है।
देश के विकास में अड़ंगा बना नोटबंदी को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। चिदंबरम ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़े के हवाले से कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की धीमी विकास दर को लेकर की गई उनकी भविष्यवाणी सही थी, जिसे नोटबंदी ने और भी बदतर बना दी।
अर्थव्यवस्था के ताजा आंकड़ों पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि पिछले तीन सालों में लगातार अर्थव्यवस्था बदलती रही है लेकिन मौजूदा वित्तीय वर्ष में विकास दर साढे़ सात फीसदी रहेगी तथा अागामी कुछ सालों में विकास दर आठ फीसदी तक पहुंच जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि एक जुलाई से लागू होने वाले महत्वाकांक्षी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से भारत की मध्यावधि वृद्धि को आठ फीसदी से ज्यादा का आंकड़ा पार करने में मदद मिलेगी। आईएमएफ ने कहा कि साथ ही कर प्रणाली में किए जा रहे इस सुधार के भविष्य में उच्च वृद्धि के लिहाज से फायदेमंद साबित होने की उम्मीद है।
देश के सेवा क्षेत्र में मार्च में लगातार दूसरे महीने वृद्धि दर्ज की गई। अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ने और नये आर्डर मिलने के साथ साथ मुद्रास्फीति दबाव कम रहने से यह वृद्धि दर्ज की गई। एक मासिक सर्वेक्षण में यह परिणाम जारी किया गया है। इससे पहले पीएमआई के विनिर्माण क्षेत्र के सूचकांक में भी अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।
नोटबंदी का प्रभाव अब कमजोर पड़ रहा है और वृद्धि के नोटबंदी से पूर्व की अवस्था में आने की संभावना है लेकिन अर्थव्यवस्था की साफ तस्वीर जून के अंत तक ही उपलब्ध होगी। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ग्लोबल रेटिंग्स ने शुक्रवार को यह बात कही।