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दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके, 4.7 रही तीव्रता

दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके, 4.7 रही तीव्रता

राजधानी दिल्ली सहित हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में शुक्रवार तड़के भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता 4.7 मापी गई है।
भूकंप के तेज झटकों से थर्राया न्यूजीलैंड, सुनामी की आशंका को लेकर चेतावनी

भूकंप के तेज झटकों से थर्राया न्यूजीलैंड, सुनामी की आशंका को लेकर चेतावनी

न्यूजीलैंड में रविवार को भूकंप का तेज झटका महसूस किया गया। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.4 मापी गई। भूकंप के बाद दक्षिणी तटीय क्षेत्रों के लिए एक सुनामी चेतावनी जारी की गई है।
मध्य इटली में आया जबर्दस्त भूकंप, भारी नुकसान की आशंका

मध्य इटली में आया जबर्दस्त भूकंप, भारी नुकसान की आशंका

इटली के मध्य हिस्से में रविवार की अहले सुबह 6.6 तीव्रता का जबर्दस्त भूकंप आया जिससे कि इटली का पूरा मध्य क्षेत्र हिल उठा। हालांकि अभी तक इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
अध्ययन कहता है, जम्मू-कश्मीर में आ सकता है भीषण भूकंप

अध्ययन कहता है, जम्मू-कश्मीर में आ सकता है भीषण भूकंप

जम्मू-कश्मीर के हिमालय पर्वतों की हालिया भौगोलिक मैपिंग में कहा गया है कि राज्य में रिक्टर पैमाने पर आठ या इससे ज्यादा तीव्रता का भीषण भूकंप आ सकता है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं।
भारत के साथ रिश्ते और मजबूत होंगे: केपी ओली

भारत के साथ रिश्ते और मजबूत होंगे: केपी ओली

नेपाल की कम्यु‍निस्ट पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी -लेनिनवादी (नेकपा-एमाले) के खडग प्रसाद शर्मा ओली को देश का नया प्रधानमंत्री चुना गया है। तिरेसठ वर्षीय ओली साल 2006 की जनक्रांति के तत्काल बाद बनी गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व वाली सरकार में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बने थे। संविधान बनने के बाद प्रधानमंत्री ओली के सामने कई चुनौतियां भी हैं। नेपाल में संविधान संशोधन को लेकर मधेशियों का आंदोलन पूरा जोर पकड़ चुका है। नए संविधान की मंजूरी से पैदा ताजा मधेशी संकट और प्रधानमंत्री बनने से कुछ दिन पहले ही आउटलुक के विशेष संवाददाता ने ओली से मुलाकात की थी। कई मुद्दों पर बातचीत हुई। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
भूकंप ने बदल दी सियासत

भूकंप ने बदल दी सियासत

काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या‍ स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
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