रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पीवी सिंधु बुधवार को आसान जीत के साथ एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप के दूसरे दौर में पहुंच गयी। वुहान (चीन) में खेली जा रही इस प्रतियोगिता में साइना नेहवाल को शुरू में ही बाहर का रास्ता देखना पड़ा।
गिमचियोन में कांस्य पदक जीतने के तीन साल बाद पीवी सिंधू मंगलवार से वुहान (चीन) में शुरू हो रही एशियाई बैडमिंटन चैम्पियनशिप में भारतीय चुनौती की अगुआई करेंगी और उनकी नजरें पदक जीतने पर टिकी होंगी।
सिंगापुर ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट का फाइनल इस बार दो भारतीयों के बीच होगा। भारत के किदाम्बी श्रीकांत और बी साई प्रणीत ने शनिवार को सेमीफाइनल में आसान जीत दर्ज कर फाइनल में प्रवेश किया। संभवत: यह पहला मौका है जब दो भारतीय खिलाड़ी सुपर सीरीज टूर्नामेंट में खिताब के लिये एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे।
शीर्ष भारतीय शटलर साइना नेहवाल ने बर्मिंघम में गत चैम्पियन जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराकर आल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप के दूसरे दौर में प्रवेश किया।
देश में क्रिकेट को सबसे लोकप्रिय खेल माना जाता है। लेकिन बैडमिंटन ने अब इस खेल को पीछे कर दिया है। रियो ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक के लिए हुए महिला सिंगल्स मैच में भारतीय शटलर पी.वी. सिंधु और स्पेन की कैरोलिना मारिन के बीच हुए मैच को विश्व कप क्रिकेट टी-20 सेमीफाइनल मैच से भी ज्यदा दर्शक मिले हैं।
साइना नेहवाल और पीवी सिंधू के लगातार ओलंपिक खेलों में पदक के दौरान इन दोनों खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करने वाले मुख्य बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि वह भाग्यशाली थे कि पढ़ाई में अच्छे नहीं थे और आईआईटी परीक्षा पास नहीं कर पाने से उनके सफल खिलाड़ी बनने का रास्ता खुला।
पीवी सिंधु बैडमिंटन में महिलाओं की एकल स्पर्धा में रजत पदक जीतकर खुश हैं। उन्होंने कहा कि देश को स्वर्ण पदक दिलाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ झोंक दिया था।
कहा जाता है कि गुरु को मुक्ति तब मिलती है, जब शिष्य उससे बड़ा हो जाए। गोपीचंद ने इसे अपनी जिंदगी में अपनाया है। ओलंपिक के लिहाज से देखा जाए, तो आज उनके शिष्य बड़े मुकाम पर खड़े हैं। गोपी से भी ऊंचे मुकाम पर। फर्क बस यह है कि गोपी का कद भी उसके साथ बढ़ता जा रहा है। जीवन में जो सीखा, उसे संसार को वापस करना क्या होता है, इसे गोपी से समझा जा सकता है।