भारतीय टीम के तेज गेंदबाजों में शुमार जसप्रीत बुमराह ने टी-20 और चैम्पियन ट्राफी में बेहतर प्रदर्शन किया है। शानदार गेंदबाजी से खेल प्रेमियों की जुबां पर बुमराह का नाम है, लेकिन उभरते खिलाड़ी के दादा मुफलिसी की जिंदगी जी रहे हैं। वे उत्तराखंड के किच्छा में रहकर टैम्पो चलाने को मजबूर हैं।
उथल पुथल के इस दौर में लगता है राजनीति की तरह बाजार में भी महागठबंधन का युग आ गया है। जिस तरह करिश्माई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिकस्त देने के लिए बाकी पार्टिया आपसी दुश्मनी को तिलांजलि देकर गठबंधन करने को मजबूर हो रही हैं, उसी तरह भारतीय टेलीकॉम उद्योग बाजार में मुंकेश अंबानी के जियो के लगातार बढ़ते प्रभाव को टक्कर देने के लिए दो टेलीकॉम दिग्गजों वोडाफोन और आदित्य बिड़ला ग्रुप के आइडिया सेल्युलर ने महागठबंधन का सहारा लिया है। मजे की बात है अब तक जिनके खिलाफ गठबंधन को आजमाने की कोशिशें शुरु हुई हैं वे दोनों, मोदी और मुकेश अंबानी, गुजरात के हैं।
पूर्व विश्व शतरंज चैम्पियन विश्वनाथन आनंद को भरोसा है कि 2016 में मिश्रित सफलता के बाद वह वापसी करने में सफल रहेंगे और उन्होंने कहा कि वह इस साल ग्रैंड चेस टूर और विश्व कप में हिस्सा लेंगे। ग्रैंड चेस टूर में इस साल पांच टूर्नामेंट होंगे।
मेरा बेटा 26 दुश्मनों को मारने के बाद शहीद हुआ था। जब यह घटना घटी उस वक्त केंद्र में सरकार भाजपा की थी। उस दौरान हमसे कई तरह के वादे किए गए थे जो पूरे नहीं हुए और आज जब मेरी पोती गुरमेहर को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है तब भी सरकार भाजपा की है। यह दर्द है रामजस विवाद में चर्चा आई गुरमेहर कौर के दादा कंवलजीत सिंह का।
शुरुआती हिचकोलों के बाद सपा-कांग्रेस गठबंधन के विधानसभा चुनाव प्रचार के जोर पकड़ने के मद्देनजर प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों बसपा और भाजपा को मुस्लिम बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी रणनीति में रद्दोबदल करना पड़ा है।
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में समान विचारधारा वाली सपा जैसी पार्टियों के साथ चुनाव से पहले गठबंधन किए जाने की संभावना से आज इनकार नहीं किया। वहीं, इसकी मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित ने युवा अखिलेश यादव के पक्ष में इस मुकाबले से हटने की पेशकश की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई के तट के पास 3600 करोड़ रुपये में तैयार होने वाले शिवाजी महाराज स्मारक का शिलान्यास किया। भव्य स्मारक के लिए यह कार्यक्रम नगर निकाय चुनावों के कुछ महीने पहले ऐसे समय आयोजित हुआ जब 17वीं सदी के महान शासक की विरासत पर दावा करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष जारी है।