समाचार एजेंसी के मुताबिक, कोर्ट ने निजी स्कूलों से कहा है कि वो कैश, एफडी या ड्राफ्ट के रूप में ये पैसा जमा करा सकते हैं। बता दें कि 2006 से 2009 तक 32 महीने की फीस मनमाने ढंग से वसूली गई।
डेरा प्रमुख के मामले को उजागर करने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की तरह ही इन पत्रकारों ने भी जान का खतरा उठाते हुए धर्म की आड़ में होने वाले अपराध का पर्दाफाश किया था।