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विश्वविद्यालयों को खुली अभिव्यक्ति और वाद-विवाद का केंद्र होना चाहिए: राष्ट्रपति

विश्वविद्यालयों को खुली अभिव्यक्ति और वाद-विवाद का केंद्र होना चाहिए: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को बिहार के नालंदा में कहा कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थाओं को खुली अभिव्यक्ति का केंद्र होना चाहिए और वहां वाद-विवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि ऊंची रहेगी : सर्वेक्षण

दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि ऊंची रहेगी : सर्वेक्षण

देश के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर की तिमाही में ऊंची रहेगी। एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि निर्यात संभावनाओं तथा घरेलू मांग में सुधार से विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर बेहतर रहेगी।
कसूर बस इतना कि दलित था और सवर्ण लड़की से प्रेम कर बैठा

कसूर बस इतना कि दलित था और सवर्ण लड़की से प्रेम कर बैठा

झूठी शान की खातिर हत्या करने के एक संदिग्ध मामले में नवी मुंबई में एक सवर्ण लड़की के परिवार वालों ने 16 साल के एक दलित लड़के की कथित तौर पर हत्या कर दी। लड़का सवर्ण लड़की से प्रेम करता था। पुलिस ने गुरुवार को बताया कि मामले के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 17 साल की लड़की को भी हिरासत में लिया गया है।
हृदय की बिगड़ती सेहत को 10 साल पहले बता सकता है आपका खून

हृदय की बिगड़ती सेहत को 10 साल पहले बता सकता है आपका खून

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया तरीका इजाद किया है जिससे किसी के खून के जरिए उस व्यक्ति को 10 साल बाद होने वाली हृदय की बीमारी का पूर्वानुमान किया जा सकता है।
उच्‍च शिक्षा पर एक नया संकट

उच्‍च शिक्षा पर एक नया संकट

उच्च शिक्षा या शिक्षा मात्र विचारहीनता के संकट से गुजर रही है। अभी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सारे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को फरमान जारी किया है कि वे चयन आधारित क्रेडिट व्यवस्था वाले पाठ्यक्रम 2015-16 से लागू करें। यह एक असाधारण आदेश है। विश्वविद्यालयों में क्या पढ़ाया जाएगा, क्या नहीं, यह तय करना आयोग के अधिकार-क्षेत्र से बाहर है। फिर भी, न सिर्फ उसने यह हुक्म जारी किया है, बल्कि अपने वेबसाईट पर उसने अनेक विषयों के पाठ्यक्रम बनाकर लगा भी दिए हैं। विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे इन्हें तुरंत लागू करें। इनमें बीस प्रतिशत की हेर-फेर करने की छूट उन्हें है। यह अभूतपूर्व है और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में सीधा हस्तक्षेप है। मज़ा यह है कि आयोग यह नहीं बता रहा कि आखिर ये पाठ्यक्रम तैयार किन्होंने किए हैं! स्वाभाविक है कि उसके इस कदम का शिक्षकों की ओर से कड़ा विरोध हो रहा है।
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