Advertisement

Search Result : "Feminist Writers"

स्वतंत्र लेखकों-कलाकारों को छोड़ दें, भाजपा के लिए नरम रुख रखने वाले पत्रकार भी सुरक्षित नहीं

स्वतंत्र लेखकों-कलाकारों को छोड़ दें, भाजपा के लिए नरम रुख रखने वाले पत्रकार भी सुरक्षित नहीं

शनिवार यानी 8 जून से ट्विटर पर हैशटैग #ReleasePrashantKanojia ट्रेंड कर रहा है। यह कई सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं में से...
स्वतंत्र लेखकों-कलाकारों को छोड़ दें, भाजपा के लिए नरम रुख रखने वाले पत्रकार भी सुरक्षित नहीं

स्वतंत्र लेखकों-कलाकारों को छोड़ दें, भाजपा के लिए नरम रुख रखने वाले पत्रकार भी सुरक्षित नहीं

शनिवार यानी 8 जून से ट्विटर पर हैशटैग #ReleasePrashantKanojia ट्रेंड कर रहा है। यह कई सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं में से...
200 से ज्यादा लेखकों की देश से अपील, ‘लोकसभा चुनाव में नफरत की राजनीति के खिलाफ डालें वोट'

200 से ज्यादा लेखकों की देश से अपील, ‘लोकसभा चुनाव में नफरत की राजनीति के खिलाफ डालें वोट'

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश के 200 से ज्यादा लेखकों ने लोगों से नफरत की राजनीति के खिलाफ मतदान करने की...
सेंसरशिप का सबसे बुरा रूप स्व सेंसरशिप : तसलीमा नसरीन

सेंसरशिप का सबसे बुरा रूप स्व सेंसरशिप : तसलीमा नसरीन

कई मौकों पर कट्टपंथियों के गुस्से का सामना कर चुकीं जानी मानी बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का मानना है कि सेंसरशिप का सबसे बुरा रूप स्व सेंसरशिप है। बांग्लादेश में लेखकों, अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं और नास्तिक ब्लाॅगरों के खिलाफ बढ़ते हमलों पर तसलीमा ने कहा कि घातक परिणामों से बचने के लिए अब कई लेखक स्व सेंसरशिप अपनाने को मजबूर हो गए हैं।
लेखकों ने कैमरन से कहा, भारत में असहिष्णुता बढ़ने का मुद्दा मोदी के समक्ष उठाएं

लेखकों ने कैमरन से कहा, भारत में असहिष्णुता बढ़ने का मुद्दा मोदी के समक्ष उठाएं

सलमान रश्दी सहित 200 से अधिक जानेमाने लेखकों ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से कहा है कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली अपनी बातचीत के दौरान भारत में बढ़ते भय के वातावरण और बढ़ती असहिष्णुता का मुद्दा उठाएं। यह पीईएन इंटरनेशनल की ओर से एक महीने से कम समय में दूसरा एेसा पत्र है।
शर्मः 25 फीसदी भारतीयों ने कबूला छूआछूत

शर्मः 25 फीसदी भारतीयों ने कबूला छूआछूत

अस्पृश्यता यानी छूआछूत उन्मूलन के 65 साल बाद भी हर चार भारतीयों में एक अपने घरों में किसी न किसी रूप में छूआछूत का पालन करता है। चौंकाने वाला यह तथ्य एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में सामने आया है जिसे यहां दलित बुद्धिजीवियों, लेखकों एवं विद्वानों की एक सम्मेलन में पेश किया गया।
Advertisement
Advertisement
Advertisement