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किसी की हत्या को जायज ठहराना हमारे समाज में दबी हुई नफरत का आईना है

किसी की हत्या को जायज ठहराना हमारे समाज में दबी हुई नफरत का आईना है

सोशल मीडिया में एक तरफ लोग घटना की निंदा कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसे तत्व भी सक्रिय हो गए हैं, जो हत्या को जायज ठहरा रहे हैं और जश्म मना रहे हैं।
कौन हैं गौरी लंकेश और कुछ लोग उनके खून के प्यासे क्यों थे?

कौन हैं गौरी लंकेश और कुछ लोग उनके खून के प्यासे क्यों थे?

गौरी लंकेश ने अपनी कन्नड़ पत्रिका में आखिरी संपादकीय फेक न्यूज पर लिखा था और उसका टाइटल था- फेक न्यूज़ के जमाने में। सोशल मीडिया में भी वह काफी सक्रिय थीं। उन्होंने आखिरी बार ट्विटर में एक खबर को रीट्वीट किया था, जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में फैलाई जा रही फेक न्यूज की पड़ताल की गई थी।
सोशल मीडिया: गौरी लंकेश की हत्या पर फूटा लोगों का गुस्सा, कहा- ‘जो अपराधी नहीं होंगे मारे जाएंगे...’

सोशल मीडिया: गौरी लंकेश की हत्या पर फूटा लोगों का गुस्सा, कहा- ‘जो अपराधी नहीं होंगे मारे जाएंगे...’

लोगों ने इस इस घटना को कलबुर्गी,पंसारे और दाभोलकर की हुई हत्या से जोड़कर अपने गुस्से का इजहार किया है।
गौरी लंकेश का किया गया अंतिम संस्कार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी रहे मौजूद

गौरी लंकेश का किया गया अंतिम संस्कार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी रहे मौजूद

गौरी लंकेश का अंतिम संस्कार बुधवार को बेंगलुरू के चामराज पेट में किया गया। उनके अंतिम संस्कार में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी पहुंचे।
नियति से निर्वाण की कथा रंग राची

नियति से निर्वाण की कथा रंग राची

मीरांबाई की संघर्ष-यात्रा को केंद्र में रखकर लिखा गया उपन्यास ‘रंग राची’ आखिरकार पाठकों तक पहुंच ही गया। दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में नामवर सिंह ने अध्यक्षीय आशीर्वचन दिया। उन्होंने कहा, ‘हिंदी में बहुत कवयित्रियां हुई लेकिन जो स्थान मीरां ने बनाया वह सब के लिए आदर्श है। मीरा को करूणा, दया के पात्र के रूप में देखने की जरूरत नहीं है, मीरां स्त्रियों के स्वाभिमान की प्रतीक हैं।’ इस उपन्यास को सुधाकर अदीब ने लिखा है और यह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
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