अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि एक जुलाई से लागू होने वाले महत्वाकांक्षी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से भारत की मध्यावधि वृद्धि को आठ फीसदी से ज्यादा का आंकड़ा पार करने में मदद मिलेगी। आईएमएफ ने कहा कि साथ ही कर प्रणाली में किए जा रहे इस सुधार के भविष्य में उच्च वृद्धि के लिहाज से फायदेमंद साबित होने की उम्मीद है।
देश के सेवा क्षेत्र में मार्च में लगातार दूसरे महीने वृद्धि दर्ज की गई। अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ने और नये आर्डर मिलने के साथ साथ मुद्रास्फीति दबाव कम रहने से यह वृद्धि दर्ज की गई। एक मासिक सर्वेक्षण में यह परिणाम जारी किया गया है। इससे पहले पीएमआई के विनिर्माण क्षेत्र के सूचकांक में भी अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।
नोटबंदी का प्रभाव अब कमजोर पड़ रहा है और वृद्धि के नोटबंदी से पूर्व की अवस्था में आने की संभावना है लेकिन अर्थव्यवस्था की साफ तस्वीर जून के अंत तक ही उपलब्ध होगी। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ग्लोबल रेटिंग्स ने शुक्रवार को यह बात कही।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने मंगलवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी जबकि अगले दो वित्त वर्ष में यह बढ़कर 7.7 प्रतिशत तक रहेगी।
कांग्रेस ने जीडीपी आंकड़ों को हैरानी भरा और बेहद संदेहास्पद बताया है जो कि भारत की वैश्विक साख को खत्म कर सकता है और साथ ही प्रधानमंत्री तथा वित्त मंत्री पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
रिजर्व बैंक ने मुद्रस्फीति का जोखिम बढ़ने का खतरा देखते हुए लगातार दूसरी बार द्वैमासिक समीक्षा में अपनी मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 प्रतिशत पर यथावत रखा।
नोटबंदी से बने गतिरोध की वजह से भारत की सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: वृद्धि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 6 प्रतिशत रह सकती है जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह और धीमी पड़कर 5.7 प्रतिशत रह सकती है। नोमुरा की रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।
देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस का एकीकृत शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में सात प्रतिशत बढ़कर 3,708 करोड़ रुपये रहा।
सरकार ने वित्त वर्ष 2017 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ग्रोथ के अनुमान के आंकड़े जारी कर दिए हैं। वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि वर्ष 2015-16 में यह 7.6 फीसदी पर थी। गौर हो कि पिछली क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने भी ग्रोथ की रफ्तार के अनुमान को 0.5 फीसदी घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया था। 7.1 फीसदी विकास दर का अनुमान पिछले 3 साल का निचला स्तर है।