तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) का शुद्ध लाभ 30 सितंबर को समाप्त तिमाही में 6 प्रतिशत बढ़ गया। कंपनी ने सरकार के विनिवेश से पहले तरलता बढ़ाने को बोनस शेयर की घोषणा की है।
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के प्रस्तावित चार स्तरीय ढांचे से आम आदमी प्रभावित हो सकता है। इस कर ढांचे के अमल में आने से आम आदमी की रसोई में काम आने वाले खाद्य तेल, मसाले और चिकन जैसा सामान महंगा हो सकता है। अप्रत्यक्ष कर के इस ढांचे में दूसरी तरफ कुछ टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर्स, फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि करों में कमी से सस्ते हो सकते हैं।
रूस की सरकारी पेट्रोलियम कंपनी रोजनेफ्ट और उसके भागीदारों ने भारत की दूसरी सबसे बड़ी निजी पेट्रोलियम कंपनी एस्सार ऑयल के अधिग्रहण का आज करार किया। पूरी तरह नकद लेन-देन के आधार पर हुए इस सौदे का मूल्य करीब 13 अरब डालर आंका गया है।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज कहा कि रोजगार बाजार में जो लाखों युवा आ रहे हैं, उन्हें बाजार के लिहाज से पूरी तरह से उपयुक्त बनाने के लिये मन:स्थिति में पूर्ण रूप से बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने कौशल भारत अभियान के लिये सचिन तेंदुलकर को ब्रांड एम्बेसेडर बनाए जाने तथा कौशल प्रशिक्षण में केवल बढ़ई जैसी चीजों को रेखांकित किये जाने को लेकर केंद्र की आलोचना भी की।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी), ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) तथा भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के समूह को रूस के दो तेल क्षेत्रों में 3.14 अरब डालर में हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार की उपलब्धियों का बखान अब मशहूर फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन करेगी। बालन समाजवादी पेंशन योजना का पूरे-प्रदेश में प्रचार करेगी और बताएगी की किस प्रकार से इस योजना से लोगों का जीवन स्तर सुधरा है।
राज्यों को इस साल केंद्र से राजस्व में हिस्सेदारी के तहत जबरदस्त उछाल आने की उम्मीद है क्योंकि इस बार उन्हें पेटोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के हिस्से के तहत 24,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे।
कभी भाजपा की फायर ब्रांड नेता रहीं केंद्रीय मंत्री उमा भारती हमेशा भीड़ से घिरी रहती थीं। जहां जातीं समर्थकों का हुजूम उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़ता था। लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलट गई है। उमा भारती अब हर जगह अकेली दिखाई देती हैं। केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद आगे पीछे रहने वाले समर्थक नदारद हैं। और तो और देश के किसी हिस्से में पहुंचने पर स्वागत के लिए समर्थकों का जो हुजूम उमड़ पड़ता था आज वह भी कहीं दिखाई नहीं देता।
देश में पिछले दो सालों में खाने पीने की चीजों के दामों में बेेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। लोग इसका रोना भी रो रहे हैं। लेकिन रोजमर्रा के उपयोग की इन वस्तुओं के दामों में कोई कमी नहीं आई। इन सबके बीच शिक्षा पर भी महंगाई की मार पड़ी है। पिछले दो सालोंं में स्कूलों की फीस और शिक्षण सामग्री भी महंगी हुई है।