पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि सकल घरेलू उत्पाद में एक फीसदी की कमी से 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान है, जबकि दो फीसदी की गिरावट तीन लाख करोड़ रुपये का नुकसान है।
विपक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि सरकार के द्वारा नोटबंदी का फैसला विध्वशंक रहा। हालांकि सरकार नोटबंदी के फायदे गिना रही है, साथ ही कह रही है कि नोटबंदी का जीडीपी की ग्रोथ में आई गिरावट से कोई लेना-देना नहीं है।
इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.1 फीसदी रही थी। अर्थशास्त्री जीडीपी ग्रोथ में गिरावट की मुख्य वजह नोटबंदी को मान रहे हैं।
वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी की ग्रोथ तीन साल के न्यूनतम स्तर पर 5.7 पर आ गई है। जीडीपी गिरने का एक कारण नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी को भी माना जा रहा है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर की धीमी रफ्तार की वजह अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने मोदी सरकार द्वारा अचानक की गई नोटबंदी, आरबीआई की पॉलिसी और रुपये की मजबूती को बताया है।
आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर मई में घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई है। खासतौर से कोयले और उर्वरक सेक्टर में कमजोरी के कारण वृद्धि दर में यह कमी आई है।
देश के विकास में अड़ंगा बना नोटबंदी को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। चिदंबरम ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़े के हवाले से कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की धीमी विकास दर को लेकर की गई उनकी भविष्यवाणी सही थी, जिसे नोटबंदी ने और भी बदतर बना दी।