सन 2015 बीतने को है। इस साल कई फिल्मी सितारों के बच्चे ने अपने परिवार की अभिनय की विरासत को आगे बढ़ाते हुए बॉलीवुड में कदम रखा। इस लिहाज से यह साल नए अदाकारों का रहा।
दिलवाले सच में दिलवालों की फिल्म है। इतना झेलने के लिए बड़ा दिल चाहिए। काली बनाम राज (शाहरूख खान) और राज बनाम काली के बीच चलती इस फिल्म में मीरा (काजोल), वीर (वरुण धवन) और इशिता (श्रुति सेनन) हैं। गोवा में फिल्म शुरू होकर बुल्गारिया में फ्लैश बैक में पहुंच जाती है। फिर गोवा और हैप्पी एंडिंग।
दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे को आए कितने साल बीत गए। पूरे 20 साल जी। शाहरूख-काजोल की यह जोड़ी आज तक वहीं पर खड़ी है। जब भी दोनों की बात होती है इस फिल्म की चर्चा जरूरी होती है।
अपने सहकलाकारों के प्रति शाहरूख का प्रेम कम ही देखने को मिलता है। लेकिन आजकल वह अपने जूनियरों की खूब तारीफ कर रहे हैं। हाल ही में सोनू सूद की तारीफ के बाद इस बार वरुण धवन का नंबर आया है। शारूख आजकल दूसरों की तारीफ में इतने व्यस्त हैं कि सभी को लग रहा है उन्हें अचानक क्या हुआ है।
प्रसिद्ध निर्देशक आर. बाल्की का फिल्म बनाने का अलग ढंग है। उसी तरह है उनका फिल्मों को अलग तरह के नाम देना। इस बार बाल्की अमिताभ और जया बच्चन को लेकर एक फिल्म बना रहे हैं। नाम रखा है, की एंड का। अब इस नाम के मायने तो फिल्म देख कर ही समझ में आएंगे।
अजय देवगन और शहरुख खान के रिश्तों के बारे में सभी को पता है। लेकिन वह वैसे वाले पति नहीं हैं कि अपनी दुश्मनी में अपनी पत्नी का नुकसान करें। अभिनेता अजय देवगन ने कहा है कि वह अपनी पत्नी काजोल और सुपरस्टार शाहरूख खान को परदे पर एक साथ देखने की ख्वाहिश रखते हैं और वह इस बात से खुश हैं कि दोनों एक फिल्म में फिर से साथ दिखने वाले हैं।
किंकग खान आजकल अपने कुनबे सहति अमेरिका में हैं। अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर वह अपने बच्चों के साथ समय बिता रहे हैं। शाहरुख ने अपने बच्चों के साथ टि्वटर पर एक फोटो साझा की और लिखा, ‘लाइवली एंड एजुकेटिव।’
दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे के बाद से ही शाहरुख-काजोल की जोड़ी के दीवानों की कमी नहीं है। बड़े परदे की इस मशहूर जोड़ी ने आखरी बार माइ नेम इज खान में काम किया था। अब दोनों फिर एक साथ आ रहे हैं। इस बार फिल्म का नाम सिर्फ दिलवाले है।
केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सहमति बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर किसान नेताओं से मुलाकात की। किसान संगठनों ने भू-स्वामियों की मर्जी के खिलाफ जमीन न लेने और देश में आजादी के बाद हुए भूमि अधिग्रहण पर श्वेत-पत्र जारी करने की मांग उठाई है।