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गैंगरेप से पीड़ित दलित छात्रा ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, मांगा इंसाफ

गैंगरेप से पीड़ित दलित छात्रा ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, मांगा इंसाफ

देश में आए दिन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और गैंगरेप की घटनाएं सुनने और पढ़ने को मिलती है। एक ऐसी ही घटना कर्नाटक की है, जहां गैंगरेप का शिकार हुई एक दलित छात्रा ने इंसाफ की गुहार लगाई है। इस संबंध में पीड़िता ने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है।
गाय के बाद जज साहब बोले ‘मोर’, कहा- ब्रह्मचारी होने के कारण बनाया गया राष्ट्रीय पक्षी

गाय के बाद जज साहब बोले ‘मोर’, कहा- ब्रह्मचारी होने के कारण बनाया गया राष्ट्रीय पक्षी

गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने के बयान से चर्चा में आए राजस्थान हाईकोर्ट के जज महेश चंद्र शर्मा ने अब कहा कि मोर को इसलिए राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया, क्योंकि वह ब्रह्मचारी होता है। बिना मैथुन क्रिया के ही मोर आपने आंसुओं से मोरनी को गर्भवती कर देता है।
जस्टिस काटजू ने कहा- जाति आधारित आरक्षण भारत के लिए अभिशाप

जस्टिस काटजू ने कहा- जाति आधारित आरक्षण भारत के लिए अभिशाप

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने सोशल मीडिया साइट के माध्यम से कहा कि देश में सभी प्रकार के जाति आधारित आरक्षण बंद होने चाहिए। उन्होंने इसे देश के लिए एक अभिशाप बताया है।
अलीगढ: 250 दलितों ने किया धर्मातंरण का ऐलान, इंसाफ नहीं मिलने का आरोप

अलीगढ: 250 दलितों ने किया धर्मातंरण का ऐलान, इंसाफ नहीं मिलने का आरोप

अलीगढ़ के लोधा थाना क्षेत्र के दलित परिवारों ने धर्मातंरण का ऐलान किया है। उनका कहना है कि पुलिस ने उनके खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई की है।
जानिए, निर्भया कांड के बाद कैसे बदले देश के कायदे-कानून?

जानिए, निर्भया कांड के बाद कैसे बदले देश के कायदे-कानून?

पूरे देेेेश को शर्मसार करने वाले निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे देश में नई चेतना आई। जिसके बाद बलात्कारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने और ऐसे जघन्य अपराध में लिप्त नाबालिगों को भी कड़ी सजा दिलवाने की मुहिम छिड़ी।
‘ऊंची जाति के जज दलित जज से पाना चाहते हैं छुटकारा’

‘ऊंची जाति के जज दलित जज से पाना चाहते हैं छुटकारा’

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदालत की अवमानना का नोटिस मिलने के बाद कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सर्वोच्च न्यायालय के किसी सिटिंग जज को नोटिस थमाने के अधिकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। साथ ही उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया है कि ऊंची जाति के जज, एक दलित जज से छुटकारा पाने के लिए अपने अधिकारों का नाजायज़ इस्तेमाल कर रहे हैं।
कार्यवाही की पक्षपातपूर्ण रिकॉर्डिंग बहुत बड़ा अन्याय है: उच्च न्यायालय

कार्यवाही की पक्षपातपूर्ण रिकॉर्डिंग बहुत बड़ा अन्याय है: उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग ईमानदारी और निष्पक्षता से नहीं करने वाला न्यायाधीश वादियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय करता है। न्यायालय ने यह टिप्पणी भ्रष्टाचार के एक मामले को एक निचली अदालत से दूसरी में स्थानांतरित करते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस ठाकुर ने हाई कोर्ट के जजों के तबादलों पर मोदी सरकार से मांगा जवाब

जस्टिस ठाकुर ने हाई कोर्ट के जजों के तबादलों पर मोदी सरकार से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार काे केन्द्र सरकार से सवाल किया कि कोलेजियम की सिफारिशों के बावजूद वह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों का तबादला क्यों नहीं कर रही है। न्यायालय ने लंबित तबादलों के बारे में विस्तार से दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी केन्द्र को दिया है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को जयललिता की मौत की परिस्थितियों पर सन्देह

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को जयललिता की मौत की परिस्थितियों पर सन्देह

पूर्व मुख्यमंत्राी जयललिता की मृत्यु की परिस्थितियों पर सन्देह व्यक्त करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने संकेत दिया है कि वह शव को समाधि से निकालने का आदेश दे सकते हैं। उन्होंने उस याचिका की सुनवाई के दौरान यह संकेत दिया जिसमें इस मामले की जांच किसी जांच आयोग या तथ्य अन्वेषण समिति से करवाने का अनुरोध किया गया है। दो सदस्यीय अवकाश पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने कहा कि जनता को पता होना चाहिए कि क्या हुआ।
सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने मंगलवार को कहा कि देश में कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक है। उन्होंने कहा, सामाजिक न्याय के मामले में हम कहां खड़े हैं ? सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी यह एक सवाल है जो गणराज्य के लोग राज्य से पूछ सकते हैं।
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