अनुपम खेर के लिए भी शायद आंकड़े महत्वपूर्ण हैं। अपने अभिनय करिअर की 500 वीं फिल्म साइन करते हुए उन्होंने इसे शानदार मुकाम बताया। यह एक हॉलीवुड की फिल्म है, जिसका नाम द बिग सीक है।
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि भारत का प्रधानमंत्री बनने की उनके मन में कोई चाह नहीं है। उन्होंने इस बारे में कभी नहीं सोचा। सत्यार्थी ने कहा कि आम लोगों की ताकत और एक आम आदमी की नैतिक शक्ति दुनिया में किसी प्रधानमंत्राी या नेता से लाखों गुना ज्यादा है।
विवादित बयान देने में भाजपा नेताओं का कोई मुकाबला नहीं है। पार्टी के बड़े नेता विवाद भरे बयान देेकर चर्चा में आने से नहीं चूकते हैं। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अब राष्ट्रपति महात्मा गांधी पर ऊंगली उठाई है। वियवर्गीय ने साफ कहा है कि आजादी में महात्मा गांधी की कोई भूमिका नहीं थी।
अब तक चीन अपनी सीमा में भारतीयों के तीर्थ कैलाश मानसरोवर जाने के लिए कुल 250 तीर्थयात्रियों को इजाजत देता है। इस बार चीन ने इस संख्या को बढ़ाने की मंजूरी दी है।
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में अपनी एक अलग पहचान बना चुके मध्य प्रदेश के कैलाश विजयवर्गीय हरियाणा के बाद पश्चिम बंगाल में जीत की रणनीति बनाने में मशगूल है। भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पास पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी है। स्वाभाविक ही है कि उनके पास पश्चिम बंगाल से चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार टिकट की आस लगाए उनके पास पहुंचने लगे हैं। पश्चिम बंगाल में उनकी रणनीति पर आउटलुक की ब्यूरो प्रमुख भाषा सिंह ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं अंश-
कश्मीरी पंडितों के पक्ष में एक वीडियो, भारतीय जनता पार्टी के काम काज की तारीफ, मोदी का समर्थन और हाल ही में कांग्रेस नेता शशि थरूर से ‘हिंदू’ होने के मुद्दे पर बहस का इनाम अनुपम खेर को पाकिस्तानी सरकार ने दिया है।
बिहार विधानसभा में मिली करारी हार से भाजपा में खलबली सी मची हुई है। एक ओर पार्टी में हार को लेकर मंथन का दौर जारी है तो दूसरी ओर पार्टी के कई नेता एक दूसरे को हार का जिम्मेदार ठहराने की कोशिश में सारी हदें पार करते जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शत्रुघ्न सिन्हा पर निशाना साधते हुए उनकी तुलना एक कुत्ते से कर दी है।
इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक एक हुजूम नारे लगाता चल रहा है। इसे सोशल मीडिया ने कलबुर्गी-पानसरे की हत्या के पक्ष में भी देखा। लेकिन वहां ‘राष्ट्रवादियों’ ‘संघियों’ और ‘भक्तों’ के अलावा भी कई लोग भारत के लिए आए थे।