दिल्ली में अखिल भारतीय कार्यकर्ता प्रेरणा शिविर 11 नवंबर से शुरू हो गया है। इस शिविर में पूरे भारत से लगभग ढाई हजार समिति की कार्यकर्ता शिरकत कर रही हैं।
भाजपा की लंबे समय से सहयोगी शिवसेना ने लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दशहरा मनाने की योजना पर कटाक्ष किया है। शिवसेना ने कहा है कि लखनऊ जाकर मोदी अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने की घोषणा करें।
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने मंगलवार को कहा कि राज्य के साथ ही केंद्र की सेवाओं में समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर वे संसद का अगला सत्र शुरू होने पर अपना आंदोलन फिर से शुरू करेंगे।
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के दो पूर्व सहयोगियों ने दावा किया है कि पटेल ने एक नेता के रूप में उभरने के लिए आरक्षण आंदोलन का इस्तेमाल किया। पूर्व सहयोगियों ने आरोप लगाया कि आंदोलन शुरू होने के एक साल के भीतर ही हार्दिक करोड़पति बन गया।
बीते शुक्रवार को जेल से बाहर आए पटेल आरक्षण के नेता हार्दिक पटेल ने अपनी जमानत की शर्त के अनुरूप रविवार की सुबह गुजरात छोड़ दिया। निर्वासन की इस अवधि को पूरा करने के लिए हार्दिक राजस्थान के उदयपुर पहुंच गए हैं। वह यहीं एक मकान में छह महीने तक रहेंगे।
छह दिवसीय संघ की बैठक इन दिनों चर्चा में है। मिशन यूपी और मिशन मंदिर पर भी मंथन हो रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है कि संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कार्यक्रम और उद्देश्यों के बारे में बात की।
नेताओं में अंधविश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है। इसी अंधविश्वास के चलते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बद्रीनाथ की यात्रा हेलीकॉप्टर से नहीं कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि जब भी किसी नेता ने हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ की यात्रा की तो उसकी कुर्सी चली गई। इसी क्रम में उनके उत्तराखंड के कार्यक्रम में भी बदलाव किया गया है। पहले यह दौरा तीन दिनों का था लेकिन अब दो ही दिन उत्तराखंड में रहेंगे।
तीन साल पहले 16 जून की रात केदारनाथ में हुई भारी जल प्रलय के निशान अब मिटने लगे हैं। केदारनाथ मंदिर के पास शांत बह रही मंदाकिनी के नवनिर्मित किनारे श्रद़धालुओं में शायद यही संदेश दे रहे हैं, कि जख्म कितना भी घातक हो, वक्त सबसे बड़ा मरहम होता है। प्रलयंकारी उफान में 11,755 फुट की उंचाई पर स्थित हिमालयी धाम के डूबने के साथ ही देश भर से आये श्रद़धालु, पुजारी, व्यापारी और स्थानीय लोगों सहित करीब 5000 जिंदगियां बह गई थीं। रह गयी थी बस चीख और पुकार तथा अपनों का क्रंदन। उस मातमी माहौल को केदारनाथ की महिमा ने पीछे कर दिया है।