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Search Result : "Kumud Mishra"

अभ्यास मैच में जडेजा, अश्विन का शानदार प्रदर्शन

अभ्यास मैच में जडेजा, अश्विन का शानदार प्रदर्शन

रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन और अमित मिश्रा की स्पिन तिकड़ी के दम पर भारत ने दूसरे और आखिरी अभ्यास मैच के पहले दिन वेस्टइंडीज बोर्ड अध्यक्ष एकादश को सिर्फ 180 रन पर समेट दिया।
तेरे बिन ही ठीक थे लादेन

तेरे बिन ही ठीक थे लादेन

इस फिल्म का सीक्वेल देखने के बाद इच्छा होती है कि संविधान में संशोधन कर एक नियम डाला जाए कि पकाऊ सीक्वेल बनाने पर सजा का प्रावधान हो।
गांधी: बस नाम ही बाकी है

गांधी: बस नाम ही बाकी है

राष्ट्रपिता के रूप में ख्याति पाने वाले शख्स के नाम पर पूरे भारत में ढेरों संस्थाएं हैं, जिनका बस 'नाम’ ही बाकी रह गया है
खिड़कियां थिएटर उत्सव

खिड़कियां थिएटर उत्सव

मुंबई में खिड़कियां थिएटर उत्सव की धूम रहती है। रंगमंच के कलाकारों के साथ बॉलीवुड के सितारे में इसमें शामिल होना गर्व समझते हैं।
रामदरश मिश्र की कहानी - साढ़ेसाती

रामदरश मिश्र की कहानी - साढ़ेसाती

सन 1951 में पहला काव्य संग्रह पथ के गीत का प्रकाशन। तब से निरंतर रचना कर्म में सक्रीय। आग की हंसी के लिए सन 2015 का साहित्य अकादमी सम्मान। कविता, उपन्यास, कहानी, ललित निबंध, आत्मकथा, आलोचना, यात्रावृत्तांत, डायरी, समीक्षा, संस्मरण आदि सभी विधाओं में लेखन। दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, शलाका सम्मान, महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान, व्यास सम्मान सहित कई पुरस्कार एवं सम्मान।
मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।
विवेक मिश्र को आर्य स्मृति सम्मान

विवेक मिश्र को आर्य स्मृति सम्मान

16 दिसंबर की शाम हिंदी भवन, दिल्ली में किताबघर प्रकाशन के संस्थापक पं. जगत राम आर्य के जन्मदिन पर कथाकार विवेक मिश्र को उनके उपन्यास ‘डॉमनिक की वापसी’ के लिए ‘आर्य स्मृति साहित्य सम्मान 2015’ प्रदान किया गया। यह सम्मान हर साल साहित्य की किसी एक विधा को प्रकाशन के संस्थापक श्री जगत राम आर्य की स्मृति में दिया जाता है। इस बार उपन्यास विधा की पांडुलिपियां आमंत्रित की गई थीं। तीन सदस्य के निर्णायक मंडल, असगर वजाहत, प्रताप सहगल तथा अखिलेश ने विवेक मिश्र के उपन्यास ‘डॉमनिक की वापसी’ को इस सम्मान के लिए चुना।
अशोक मिश्र की कहानी: किरदार

अशोक मिश्र की कहानी: किरदार

सपनों की उम्र लघुकथा संग्रह। मीडिया का अंतर्पक्ष, संपादित पुस्तक। कहानी संग्रह दीनानाथ की चक्की शीघ्र प्रकाश्य। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से प्रकाशित पत्रिका बहुवचन के संपादक।
वीरेन डंगवाल और साथ चलता कंधे का अदृश्य झोला

वीरेन डंगवाल और साथ चलता कंधे का अदृश्य झोला

हिंदी के मशहूर यारबाश कवि वीरेन डंगवाल हमारे बीच नहीं रहे। आउटलुक ने अगस्त, 2013 में दिल्ली में उनसे लंबी बातचीत का समां बांधा था। इसमें पुरानी मिठास की चाशनी के साथ सिरों को जोड़ने का जिम्मा उठाया था उनके पुराने दिनों के साथी, वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल ने। आज हम सब जब वीरेन डंगवाल के जाने से बेहद दुखी है, उन्हें शिद्दत से याद करने का सिलसिला जारी है। हम उनसे हुई इस महत्वपूर्ण बातचीत फिर से साझा कर रहे हैं। कैंसर से जूझ रहे इस जिंदादिल कवि ने कितने गहरे सरोकारों की पोटली, जीवन दर्शन, 70 के दशक की बेचैनी, युवा पीढ़ी की सृजनशीलता...और भी बहुत कुछ जो जरूरी और बिसरा हुआ है, सबको पूरे अपनी संवेदना के साथ रखा था। इस संवाद से फिर-फिर गुजरकर, हाथ कुछ मोती ही लगेंगे---भाषा
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