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पैराप्लेजिया से जूझने वाले केशव ने नहीं मानी हार, लीगल स्टडीज विषय में किया देश भर में टॉप

पैराप्लेजिया से जूझने वाले केशव ने नहीं मानी हार, लीगल स्टडीज विषय में किया देश भर में टॉप

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 12वीं के रिजल्ट जारी कर दिए हैं। डीपीएस मेरठ रोड, गाजियाबाद...
AIIMS MBBS एंट्रेंस के नतीजे घोषित, गुजरात की निशिता पुरोहित रहीं टॉपर

AIIMS MBBS एंट्रेंस के नतीजे घोषित, गुजरात की निशिता पुरोहित रहीं टॉपर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने गुरुवार को एमबीबीएस एंट्रेंस के नतीजे घोषित कर दिए हैं। इस परीक्षा में सूरत गुजरात की रहने वाली 18 साल की निशिता पुरोहित ने पहली रैंक हासिल की है।
एमएमबीएस के छात्रों के लिए प्रस्‍तावित एग्जिट एक्‍जाम का आईएमए ने विरोध किया

एमएमबीएस के छात्रों के लिए प्रस्‍तावित एग्जिट एक्‍जाम का आईएमए ने विरोध किया

एमएमबीएस के छात्रों के लिए प्रस्‍तावित एग्जिट एक्‍जाम का आईएमए ने विरोध किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि ऐसे कदम एमबीबीएस एक्‍जाम के स्‍कोप को कम करेगा। एसोसिएशन के अनुसार छात्र अभी अंतिम वर्ष में एमबीबीएस का फायनल एक्‍जाम दे रहा है। एग्जिट एक्‍जाम लेने से यह संदेश जाएगा कि अभी तक की एमबीबीएस की डिग्री वैध नहीं है।
पैमिला मानसी की कहानी 'कैसा यह खौफ'

पैमिला मानसी की कहानी 'कैसा यह खौफ'

दर्शन शास्त्र तथा अंग्रेजी साहित्य में एम.ए। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर रह चुकी हैं और शिमला स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज की एसोसिएट फैलो रह चुकी हैं। सभी राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। चार कहानी-संग्रह प्रकाशित। दो कहानी संकलनों का संपादन। कृष्णा सोबती, पाउलो कोएल्हो तथा अगाथा क्रिस्टी के उपन्यासों सहित कुछ अन्य पुस्तकों के अनुवाद।
हिन्दी में भी हो एमबीबीएस परीक्षा: डॉ. मोहनलाल चीपा

हिन्दी में भी हो एमबीबीएस परीक्षा: डॉ. मोहनलाल चीपा

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से जो छात्र डाॅक्टर बनकर निकल रहे हैं, उसमें से 54 प्रतिशत डाॅक्टर विदेश चले जाते हैं और लौटकर भारत नहीं आते। रिपोर्ट यह भी कहती है कि हिन्दी माध्यम से स्कूल की पढ़ाई अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने वाले छात्र जब एम्स जैसी संस्था में पढ़ने जाते हैं, तो भाषाई स्तर पर पिछड़ने की वजह से उनमें से कई तो आत्महत्या तक कर लेते हैं। यही वजह है कि अब एमबीबीएस की परीक्षा हिंदी में कराने की मुहिम तेज हो गई है।
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