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मशहूर अभिनेता मनोज कुमार को दादासाहेब फाल्के सम्मान

मशहूर अभिनेता मनोज कुमार को दादासाहेब फाल्के सम्मान

मशहूर अभिनेता मनोज कुमार को साल 2015 का दादासाहेब फाल्के अवार्ड दिया जाएगा। अपनी विशिष्ट अभिनय शैली और देशभक्ति की भावना से भरी फिल्मों के लिए मनोज कुमार लाखों भारतीय दिलों पर राज करते हैं।
बांग्लादेशी निर्देशक की अंतरराष्ट्रीय फिल्म में नजर आएंगे इरफान

बांग्लादेशी निर्देशक की अंतरराष्ट्रीय फिल्म में नजर आएंगे इरफान

अपने संजीदा अभिनय के लिए मशहूर इरफान खान जल्द ही जाने-माने बांग्लादेशी निर्देशक मुस्तफा सरवर फारूकी के निर्देशन में बनने वाली अंतरराष्ट्रीय फिल्म नो बेड ऑफ रोजेज में मुख्य भूमिका में नजर आएंगे।
भारत की जीवंतता रंगमंच के लिए प्रेरणा

भारत की जीवंतता रंगमंच के लिए प्रेरणा

रंगमंच में नए नए प्रयोग करने के लिए जानी जाने वाली निर्देशक एरियन मनोउचकिने का मानना है कि भारत की प्रत्येक सड़क और गली में इसके जीवन की जीवंतता दिखाई देती है जो रंगमंच के लिए प्रेरणा है।
म्यूजिक एलबम में इमरान

म्यूजिक एलबम में इमरान

भूषण कुमार म्यूजिक वीडियो के सुनहरे दौर को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय संगीत में म्यूजिक वीडियो का दौर बहुत ही जल्दी खत्म हो गया था। अब दोबारा इसके दिन फिरने वाले हैं।
मुर्मू को ईडी निदेशक बनाने की कोशिश के विरोध में तीस्ता

मुर्मू को ईडी निदेशक बनाने की कोशिश के विरोध में तीस्ता

प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी जी सी मुर्मू को केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय का निदेशक बनाए जाने के किसी भी प्रयास का विरोध शुरू हो गया है।
विख्यात संगीत निर्देशक एम एस विश्वनाथन का  निधन

विख्यात संगीत निर्देशक एम एस विश्वनाथन का निधन

जाने-माने संगीतकार एमएस विश्वनाथन का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने लगभग 1000 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया है। उनकी तबीयत बिगड़ने पर विश्वनाथन को चेन्नई में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके परिवार में चार बेटे और तीन बेटियां हैं।
विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

बेटी बचाओ के जज्बे के साथ बरखा बहार नाम से एक संगीतमय समारोह का आयोजन नंदिनी फाउंडेशन और पीपल फर्स्ट की ओर से दिल्ली के मुक्तधारा ऑडिटोरियम में किया गया। समारोह में गायिका मंदाकिनी बोरा के सावन पर गाए गीतों और सुफियाना गीतों ने लोगों को झूमने और तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। लोक गायिका पूजा झा के गीत भी लोगों को खूब पसंद आए।
नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नब्बे के दशक में जब गायिका मिलन सिंह सिल्वर स्क्रीन पर आईं तो लोग इसी पसोपेश में रहते थे कि वह महिला हैं या पुरुष। वह दोनों आवाजों में गाया करती थीं। तब उनके गीत युवाओं की जुबान पर रहते । खासकर ‘ अक्ख दे इशारे नाल गल कर गई कुड़ी पटोले वरगी ’ और ‘हाणियां तू कर लै प्यार की जिना तेरा जी करदा ’। इन गीतों की वजह से लोग उन्हें पंजाबी समझते लेकिन मिलन सिंह उत्तर प्रदेश में इटावा के एक गांव की रहने वाली हैं और ठाकुर परिवार में जन्मीं हैं। 32 सुपरहिट एलबम देने वाली मिलन सिंह ने हाल ही में संगीत की दुनिया में पुनः वापसी की है। पेश है उनके बातचीत के कुछ अंश-
असली शहजादे आरडी बर्मन

असली शहजादे आरडी बर्मन

फिल्म संगीत की दुनिया के शहजादे राहुल देव बर्मन वास्तविक जिंदगी में भी शहजादे थे। त्रिपुरा के राज परिवार से उनका रिश्ता था। उन पर आई एक नई किताब में इस बारे में जानकारी है।
वह सिर्फ जूता तो नहीं बनाता

वह सिर्फ जूता तो नहीं बनाता

घर-घर घूमा, रात-बिरात, मगर एक आवाज, ये बदमस्ती तो होगी, देखा-अदेखा, लिखे में दुक्‍ख, एक बहुत कोमल तान, मनवा बेपरवाह, अंदमान-निकोबार की लोक कथाएं, पहाड़ और परी का सपना (लोक कथाएं), चांद पर धब्बा, पेड़ बोलते हैं (बाल कहानी संग्रह)। चेखव की कथा पर फिल्म एवं प्रख्यात कथाकार ज्ञानरंजन पर वृत्तचित्र का निर्देशन। घर-घर घूमा कविता संग्रह पर मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के रामविलास शर्मा सम्मान से पुरस्कृत, रात-बिरात कविता संग्रह मध्य प्रदेश साहित्य सम्मेलन के वागेश्वरी पुरस्कार तथा मध्य प्रदेश कला परिषद के रजा सम्मान से सम्मानित।
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