मुस्लिम राष्ट्रीय मंच दिल्ली में शनिवार को जम्मू कश्मीर के युवाओं का एक सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य जम्मू कश्मीर के ‘राह से भटके हुए युवाओं’ को मुख्यधारा में लाना है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच राष्ट्रीय स्वयं संघ की शाखा है।
बसपा नेता मायावती ने यूपी के लिए 100 और उम्मीदवारों की दूसरी सूची शुक्रवार को जारी की। इस सूची में लखनऊ, कानपुर, उन्नाव, सीतापुर जैसी प्रमुख जगहों से उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। इस सूची में 27 एससी और 23 मुस्लिम शामिल हैं। गुरुवार को जारी सूची में 36 मुस्लिमों को टिकट दिया गया था। इस तरह बसपा अब तक 59 मुस्लिमों को टिकट दे चुकी है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दलित-मुस्लिम-ब्रामण के समीकरण के बल पर अपनी नैया पार लगाने के प्रति आश्वस्त बहुजन समाज पार्टी :बसपा: ने गुरुवार को अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करते हुए 100 उम्मीदवारों के नाम का एेलान कर दिया।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नूर उतर जाने वाली टिप्पणी पर पलटवार करते हुए आज कहा कि नूर उनका (मायावती) नहीं, बल्कि शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे का उतर चुका है क्योंकि नोटबंदी से देश की जनता को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
भाजपा सांसद डॉ. प्रवेश वर्मा ने कहा है कि उनकी पार्टी को मुस्लिमों के वोट नहीं चाहिए। सांसद के इस ताजा बयान से सियासी गलियारों मेंं विवाद पैदा हो गया है। बागपत में पार्टी के युवा सम्मेलन में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बातचीत में सांसद ने दो टूक कह दिया कि भाजपा को मुस्लिमों का वोट नहीं चाहिए।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को एक विवादित बयान दिया है। ओवैसी ने हैदराबाद में एक रैली के दौरान कहा कि नोटबंदी से मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है।
चीन ने मुसलमान नागरिकों से चरमपंथ का विरोध करने और चीन की विशेषताओं के साथ समाजवाद से जुड़े रहने को कहा है। दरअसल, चीन ने अपने अशांत मुस्लिम बहुल शिंजियांग प्रांत में कठोर कदमों के साथ सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया है।
मुस्लिमों के साथ मजहब के नाम पर और दलितों के साथ जाति के नाम पर भेदभाव होने का दावा करते हुए प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उल उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने आज दलित और मुस्लिम समाज से एकजुट होने का आह्वान किया।
उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है। इसके अलावा उर्दू और हिंदी छोटी और बड़ी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है।