केंद्र सरकार की उत्तर पूर्व पर ध्यान देने की नीति के परिणाम दिखने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले बांग्लादेश के साथ दशकों से अटके पड़े भूमि समझौते को अंजाम दिया और अब नगालैंड में शांति बहाल करने के लिए वहां के प्रभावशाली संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) (आईएम) के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर हो गए हैं। इस समझौते के बाद अब नगालैंड में बंदूकों की आवाजें खामोश हो जाएंगी और राज्य के विकास को गति मिलेगी।
एक चौथाई शताब्दी से भी ज्यादा समय से परेश बरुआ भारतीय सेना और पुलिस को चकमा देकर बचते आ रहे हैं। यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ वेस्ट साउथ ईस्ट एशिया (युएनएलएफडब्ल्यूएसइए) के गठन में प्रमुख भूमिका निभानेवाले और अभी के समय भारतीय सेना के विरुद्ध आक्रामक रुख रखे हुए प्रतिबंधित संगठन उल्फा के सेनापति बरुआ का एनएससीएन(के) के अध्यक्ष एस.एस. खापलांग से घनिष्ठ संबंध है।