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यूपी में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर 150 सीटें लेगी कांग्रेस

यूपी में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर 150 सीटें लेगी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की कवायद के बीच कांग्रेस ने सीटों की संख्‍या को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी हैैैै। चुनावी समर में प्रदेश में अपनी जगह बनाने के लिए कांग्रेस ने गठबंधन की कोशिशें तेज भी कर दी हैं। कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब तक दो बार सपा सुप्रीमों से मुलाकात कर चुके हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने सीटों को लेकर चुनावी रणनीति तैयार कर ली है। स्‍पष्‍ट कर दिया है कि उन्हें कम से कम 125 से 150 सीटें चाहिए।
मुलायम से फिर मिले पीके, तेज हुईं महागठबंधन की अटकलें

मुलायम से फिर मिले पीके, तेज हुईं महागठबंधन की अटकलें

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की कवायद के बीच कांग्रेस के लिए काम कर रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशान्त किशोर ने आज सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से एक बार फिर मुलाकात करके हलचलें बढ़ा दी हैं।
यूपी का दंगल : सपा के साथ महागठबंधन पर कांग्रेस में बगावत के सुर

यूपी का दंगल : सपा के साथ महागठबंधन पर कांग्रेस में बगावत के सुर

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की मुलाकात के बाद सपा और कांग्रेस में गठबंधन की खबरेंं आई। मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच बातचीत भी हुई। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव और प्रशांत किशोर की भेंट और फिर पीके की मुलायम से दो घंटे से ज्यादा की बातचीत गठबंधन के साफ संकेत है। सियासी चर्चा महागठबंधन की है।
उत्तराखंड: पीडीएफ को लेकर सरकार और प्रदेश कांग्रेस में दरार

उत्तराखंड: पीडीएफ को लेकर सरकार और प्रदेश कांग्रेस में दरार

उत्तराखंड सरकार में शामिल प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) के समर्थन को लेकर कांग्रेस संगठन और सरकार के बीच जारी विवाद बढ़ता जा रहा है।
भाजपा कार्यसमिति : दल बदलुओं को तरजीह, वरिष्‍ठों को कर दिया बाहर

भाजपा कार्यसमिति : दल बदलुओं को तरजीह, वरिष्‍ठों को कर दिया बाहर

मध्‍यप्रदेश भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का नाम शामिल नहीं होने के बाद पार्टी ने सफाई देते हुए कहा कि उनका नाम टाइपिंग में मिस्‍टेक हो गया। लेकिन नंदकुमार चौहान की टीम में प्रदेश के पूर्व संगठन महामंत्रियों माखन सिंह चौहान, अरविंद मेनन और भगवतशरण माथुर को भी स्‍थान नहीं मिला है।
यूपी में कांग्रेसियों को ही मिल रहा कांग्रेस जॉइन करने का ऑफर

यूपी में कांग्रेसियों को ही मिल रहा कांग्रेस जॉइन करने का ऑफर

उत्‍तर प्रदेश के कई कांग्रेस नेता इन दिनों बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। सूबे में कांग्रेस की नैया को पार लगाने में जुटे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम की तरफ से सूबे के ही कांग्रेस नेताओं पास फोन आता है और वह उनसे ही कांग्रेस जॉइन करने को कहते हैं। अब 40 साल से कांग्रेस में ही काम कर रहे नेताओं को यह स्थिति काफी तकलीफ दे रही है।
सुशील मोदी का 'पीके' पर व़ार, 9.31 करोड़ खर्च हुए पर बिहार में 'विजन' नहीं दिखा

सुशील मोदी का 'पीके' पर व़ार, 9.31 करोड़ खर्च हुए पर बिहार में 'विजन' नहीं दिखा

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 'पीके' पर हमला किया है। मोदी ने कहा कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य प्रशांत किशोर अगर राज्य में अपने कामों के प्रति न्याय नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए।
राहुल उत्तर प्रदेश के साथ वन कानून के लिए छेड़ेंगे अभियान

राहुल उत्तर प्रदेश के साथ वन कानून के लिए छेड़ेंगे अभियान

कांग्रेस उपाध्यक्ष राज्य चुनावों की रणनीति के साथ-साथ वन अधिकार कानून के हो रहे उल्लंघन के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाने जा रहे हैं
नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।
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