लोगों का आरोप है कि बांध के चलते बेघर हुए लोगों के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। विरोध प्रदर्शन में श्ाामिल एक व्यक्ति ने बताया कि ये सरकार शव के समान है, जो किसी की बात नहीं सुनती।
शिकागो का 1893 में हुआ यह कार्यक्रम सिर्फ एक धर्म-संसद नहीं था। दरअसल कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज के 400 साल पूरे होने का जश्न था। महज धार्मिक विद्वानों का सम्मलेन न होकर यह एक प्रकार से ज्ञान-विज्ञान का कुम्भ था।
ऐसे दौर में जब रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा चल रहा है, स्वामी विवेकानंद इजरायल के शरणार्थियों की बात करते हैं। वैचारिक असहमतियों को सहन न कर पाने के इस दौर में उनकी बात याद करने लायक है, जब उन्होंने कहा था कि सांप्रदायिकताएं, कट्टरताएं और इसकी भयानक वंशज हठधर्मिता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं।