भारतीय शेयर बाजार में कारोबारी सप्ताह के आखिरी दिन शेयर बाजार रिकॉर्ड तेजी पर बंद हुआ। सेंसेक्स 136 अंक तेजी के साथ 31,273 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी पहली बार 9,650 के स्तर के पार बंद हुआ।
भारतीय शेयर बाजार में कारोबारी सप्ताह के तीसरे दिन सेंसेक्स ने अपने 31 वर्ष के सफर में 30 हजार के जादुई आकड़े को पार कर लिया है। इससे पहले सेंसेक्स ने मार्च 2015 और 5 अप्रैल 2017 में इस स्तर को पार किया था।
देश के सेवा क्षेत्र में मार्च में लगातार दूसरे महीने वृद्धि दर्ज की गई। अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ने और नये आर्डर मिलने के साथ साथ मुद्रास्फीति दबाव कम रहने से यह वृद्धि दर्ज की गई। एक मासिक सर्वेक्षण में यह परिणाम जारी किया गया है। इससे पहले पीएमआई के विनिर्माण क्षेत्र के सूचकांक में भी अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।
बाजार में तेजी का सिलसिला जारी है और रिलायंस इंडस्ट्रीज तथा मारुति की अगुवाई में सेंसेक्स 64.02 अंक की तेजी के साथ 29,974.24 अंक की रिकार्ड ऊंचाई पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी भी 9,265.15 अंक के नये रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक की 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले निवेशकों ने देखो और इंतजार करो का रूख अपनाया। मौद्रिक नीति गुरुवार को पेश होगी।
डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान के बीच वस्तु एवं सेवा कर :जीएसटी: के मोर्चे पर अच्छी खबरों से बंबई शेयर बाजार में लगातार तीसरे दिन तेजी का सिलसिला जारी रहा तथा सेंसेक्स 116 अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ।
कांग्रेस ने रविवार को गोवा में कहा कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के हैप्पिनेस इंडेक्स संबंधी दावे का लक्ष्य सिर्फ राज्य में भाजपा-नीत सरकार की असफलताओं को छुपाना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रुझानों में डोनाल्ड ट्रंप की बढ़त तथा अरबों डालर मूल्य के 500 और 1,000 के नोट बंद करने की घोषणा के बाद आज शुरुआती कारोबार में बंबई शेयर बाजार में जोरदार गिरावट आई। बाजार खुलने के सेकेंडों के भीतर ही सेंसेक्स 1,689 अंक टूट गया। इससे निवेशकों की 6 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डूब गई।
खाद्य सुरक्षा पर किए गए तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। इसे नापने वाले वैश्विक पैमाने 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' में भारत को 'चिंताजनक श्रेणी' में रखा गया है। 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' दुनिया भर के देशों में भुखमरी के हालात और इसके मुख्य कारणों पर नजर रखने वाली गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्था 'इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट' की ओर से तैयार किया गया है।
लैंगिक समानता के मामले में पिछले साल की तुलना में 21 स्थानों की बढ़त हासिल करने के बावजूद भारत को वैश्विक स्तर पर बेहद पिछड़ा यानी 87वां स्थान मिला है। भारत को मिली बढ़त मुख्यत: शिक्षा में हुई प्रगति के कारण है। इस सूची में आइसलैंड शीर्ष पर है।