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शिवसेना: एक कागजी शेर के 50 साल!

शिवसेना: एक कागजी शेर के 50 साल!

1985 तक शिवसेना केवल मुंबई तक ही सीमित थी। महाराष्ट्र में इसके प्रसार का श्रेय छगन भुजबल को जाता है। शरद पवार 1986 में अपने कांग्रेस विरोधी समूह को सकते में छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस वजह से बने खाली स्थान को शिवसेना ने भरा। आज भी मुंबई की शिवसेना और बाकी महाराष्ट्र की शिवसेना में अंतर है।
पुरस्कारों के लिए करनी पड़ती है लाॅबिंग: रामदेव

पुरस्कारों के लिए करनी पड़ती है लाॅबिंग: रामदेव

पुरस्कारों में लॉबिंग को लेकर बाबा रामदेव ने हमला बोला है। रामदेव का कहना है कि पद्म पुरस्कारों और नोबेल पुरस्कार तक के लिए भी चयन की प्रक्रिया में बहुत लाॅबिंग होती है और जिनके पास राजनीतिक रसूख होता है वे इसे पाने में सफल होते हैं। हाल ही में योगगुरू ने पद्म विभूषण को स्वीकार करने से मना कर दिया था।
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