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जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस खन्ना की पदोन्नति के खिलाफ पूर्व जज ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस खन्ना की पदोन्नति के खिलाफ पूर्व जज ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कैलाश गंभीर ने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव...
विवादों के बीच जस्टिस खन्ना और जस्टिस माहेश्वरी की नियुक्ति को राष्ट्रपति की मंजूरी

विवादों के बीच जस्टिस खन्ना और जस्टिस माहेश्वरी की नियुक्ति को राष्ट्रपति की मंजूरी

दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस संजीव खन्ना और कर्नाटक उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी को...
राहुल गांधी के साथ शादी की अफवाह पर भड़कीं रायबरेली की MLA, कहा- वे मेरे राखी वाले भाई हैं

राहुल गांधी के साथ शादी की अफवाह पर भड़कीं रायबरेली की MLA, कहा- वे मेरे राखी वाले भाई हैं

सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल...
साहसिक आत्मकथा

साहसिक आत्मकथा

आत्मकथाएं वैसे भी अलग से रेखांकित की जाती हैं। ऐसे में यदि कोई आत्मकथा स्त्री द्वारा लिखी गई हो, इसके प्रति उत्सुकता बढ़ना स्वाभाविक है। और यदि यह आत्मकथा अध्यापक, आलोचक निर्मला जैन की हो तो जिज्ञासा कहां तक पहुंचेगी यह नापने का कोई पैमाना नहीं है।
समीक्षा - रंगीले की रंगीनियत

समीक्षा - रंगीले की रंगीनियत

ज्यादातर भारतीय फिल्म निर्देशक ‘पोस्ट इंटरवेल ब्लू’ यानी मध्यांतर के बाद फिल्म को झुला देने की आदत से पीड़ित रहते हैं। तो कुछ हद तक गुड्डू रंगीला के निर्देशक सुभाष कपूर भी इससे बच नहीं पाए हैं। लेकिन यदि खाप पंचायत के सामने लड़कियों की स्थिति पर एक शानदार तकरीर वाले दृश्य पर विचार किया जाए, आखिरी दृश्य में शोले स्टाइल की लड़ाई और इस तरह के दृश्यों को देखें तो लगता है कि भारतीय दर्शकों के लिए भी यह सब जरूरी है। आखिर बुरा आदमी लहूलुहान हो कर पिटे ही न, उससे परेशान दो लड़कियां हीरो स्टाइल में उसे गोली न मारे तो क्या मजा। आखिर यह मजा ही दर्शकों को सिनेमाघर में खींचता है।
वाणी का 51वां स्थापना दिवस

वाणी का 51वां स्थापना दिवस

वाणी प्रकाशन के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में ‘एथनोग्रफिक-हिस्ट्री-ऑफ-बुक्स बनाम कहानी-किताब-की’ कार्यक्रम हुआ। वक्ताओं में आशीष नंदी, मृणाल पांडे और अभय कुमार दूबे थे। कार्यक्रम की शुरुआत वाणी के निदेशक अरुण महेश्वरी ने की। यह कार्यक्रम वाणी प्रकाशन के इक्क्यावनवें स्थापना दिवस पर आयोजित किया गया था।
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