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आेलंपिक : इकोनाेमी क्‍लास में 36 घंटे की उड़ान, पैर भी नहीं फैला पाई दुती चंद

आेलंपिक : इकोनाेमी क्‍लास में 36 घंटे की उड़ान, पैर भी नहीं फैला पाई दुती चंद

आेलंपिक में 100 मीटर की दौड़ में देश का प्रतिनिधित्‍व करने वाली धाविका दुती चंद दुती चंद ने कहा है कि उन्‍हें विमान के इकोनोमी क्‍लास में रियो तक की यात्रा के दौरान काफी परेशानी हुई।
गुजरात सरकार को झटका, कोर्ट ने सवर्ण आरक्षण पर लगाई रोक

गुजरात सरकार को झटका, कोर्ट ने सवर्ण आरक्षण पर लगाई रोक

गुजरात हाईकोर्ट ने अारक्षण पर गुजरात सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने आनंदी बेन सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उन्होंने आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया था। सरकार ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का अध्यादेश जारी किया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। अदालत ने इस याचिका के आधार पर सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।
स्कूल ने बच्चे को दाखिला देने से किया मना, हाईकोर्ट जज ने की फीस देने की पेशकश

स्कूल ने बच्चे को दाखिला देने से किया मना, हाईकोर्ट जज ने की फीस देने की पेशकश

फीस जमा नहीं कर पाने पर स्थानीय स्कूल द्वारा एक बच्चे को दाखिला देने से इनकार करने पर बंबई उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने किस्त में फीस लेने का निर्देश देते हुए कहा कि अगर यह संभव नहीं है तो वह खुद अपनी जेब से बच्चे की फीस जमा करने के लिए तैयार हैं।
एयर इंडिया: 90 मिनट से पहले मांसाहारी खाना नहीं

एयर इंडिया: 90 मिनट से पहले मांसाहारी खाना नहीं

घाटे में चल रहा सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया ने अपनी घरेलू उड़ानों में मांसाहारी भोजन नहीं परोसने का फैसला किया है। एक जनवरी से 90 मिनट की दूरी तक की यात्रा के दौरान एयर इंडिया अपनी उड़ानों में इकॉनमी क्लास के यात्रियों को मांसाहार भोजन नहीं देगा। राष्ट्रीय विमान सेवा कंपनी ने अपने दिन और रात्रि भोजन के मेन्यु से चाय और कॉफी दोनों को हटाने का भी फैसला किया है।
चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

यह किस्सों का संकलन है। मुजफ्फरपुर बिहार में तवायफों की एक 100 साल से पुरानी बस्ती है चतुर्भुज स्थान, जो बहुत प्रसिद्ध रहा है। उसके 100 साल के इतिहास को जानने-समझने की एक विनम्र कोशिश है यह किताब। इसमें उनके उत्थान के किस्से हैं, उनके पतन की नजीरें हैं। कोठागोई का एक उद्देश्य है आज की पीढ़ी का परिचय कोठों की उस संस्कृति से करवाना जो कभी तहजीब का केंद्र होता था, बाद में उसका रूप, उसकी पहचान बदलती गई। इसमें उन किरदारों के सुख हैं, दुःख हैं, गीत है, संगीत है जिनको न इतिहास ने याद किया न संस्कृति के अलंबरदारों ने। इस किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हो रहा है।
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