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अरशद मदनी का बड़ा बयान, मदरसों को बोर्ड से संबद्धता की जरूरत नहीं, उन्हें आतंकवाद से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण

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जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को कहा कि मदरसों को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा...
अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर जमीयत और पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताया खेद

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अयोध्या विवाद में दाखिल सभी पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को खारिज कर...
क्या आप भी जानना चाहते हैं 'चोटियां काटने का सच' तो सुनें गायक बिसरु का ये गीत

क्या आप भी जानना चाहते हैं 'चोटियां काटने का सच' तो सुनें गायक बिसरु का ये गीत

एक ओर जहां दिल्ली-एनसीआर के गांवों में महिलाओं की चोटी काटे जाने की घटनाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं, तो वहीं अरशद खान बिसरू नामक गायक ने इस तरह की घटना पर एक गीत की रचना की है।
समीक्षा - रंगीले की रंगीनियत

समीक्षा - रंगीले की रंगीनियत

ज्यादातर भारतीय फिल्म निर्देशक ‘पोस्ट इंटरवेल ब्लू’ यानी मध्यांतर के बाद फिल्म को झुला देने की आदत से पीड़ित रहते हैं। तो कुछ हद तक गुड्डू रंगीला के निर्देशक सुभाष कपूर भी इससे बच नहीं पाए हैं। लेकिन यदि खाप पंचायत के सामने लड़कियों की स्थिति पर एक शानदार तकरीर वाले दृश्य पर विचार किया जाए, आखिरी दृश्य में शोले स्टाइल की लड़ाई और इस तरह के दृश्यों को देखें तो लगता है कि भारतीय दर्शकों के लिए भी यह सब जरूरी है। आखिर बुरा आदमी लहूलुहान हो कर पिटे ही न, उससे परेशान दो लड़कियां हीरो स्टाइल में उसे गोली न मारे तो क्या मजा। आखिर यह मजा ही दर्शकों को सिनेमाघर में खींचता है।
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