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भीड़तंत्र: पहले कोई बचाने नहीं आया, अब कोई गवाह नहीं

भीड़तंत्र: पहले कोई बचाने नहीं आया, अब कोई गवाह नहीं

देश में उन्मादी भीड़ ने हिंसा की कई काली रेखाएं खींच दी है। पहले उन्मादी भीड़ ने एक युवक को मौत के हवाले कर दिया। उस दौरान किसी के हाथ मदद के लिए आगे नहीं बढ़े। अब विडबंना है कि कोई गवाह भी सामने नहीं आ रहा है।
पीडीपी से गठबंधन तोड़ सकती है भाजपा, राष्ट्रपति शासन की अटकलें

पीडीपी से गठबंधन तोड़ सकती है भाजपा, राष्ट्रपति शासन की अटकलें

घाटी में बढ़ती हिंसा के बीच केंद्र सरकार जम्‍मू-कश्‍मीर सरकार पर जल्‍द बड़ा फैसला ले सकती है। हिंसा के दौर के बीच वहां राष्‍ट्रपति शासन लगाए जाने की अटकलें बढ़ रही हैं। कानून व्‍यवस्‍था में गड़बड़ी को देखते हुए राजनैतिक गलियारे में सुगबुगाहट है कि भाजपा और पीडीपी का गठबंधन भी टूट सकता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 29 और 30 अप्रैल को राज्य का दौरा करने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस दौरे के बाद गठबंधन पर भाजपा कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
‘सीबीएफसी की नियम पुस्तिका पर पुनर्विचार करने की जरूरत है’

‘सीबीएफसी की नियम पुस्तिका पर पुनर्विचार करने की जरूरत है’

हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर ने सेंसर बोर्ड को अपनी नियम पुस्तिका पर पुनर्विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा, सेंसर बोर्ड के दिशा-निर्देशों को लिखे हुए छह दशक से अधिक समय बीत गया है इसलिए इस पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिए।
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