दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा को दो तिहाई बहुमत मिला है। उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी एमसीडी में भाजपा की यह जीत आम आदमी पार्टी को भावी चुनावों के लिए चुनौती दे रही है।
दिल्ली नगर निगम चुनाव में सुनहरी जीत हासिल करने वाली भाजपा ने जीत का जश्न नहीं मनाने का फैसला किया है। सुकमा में सोमवार को हुए नक्सली हमले में 26 जवानों की शहादत के बाद भाजपा ने ये फैसला किया है। एमसीडी चुनावों में शानदार विजय दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है।
दिल्ली नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी की करारी हार के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर इस्तीफेे का चौतरफा दबाव पड़ा रहा है। सबसे ज्यादा निशाना उनकी "बहानेबाजी" और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को बनाया जा रहा है।
दिल्ली में रविवार को हुए तीनों नगर निगमों के 270 वॉर्डों के चुनावों की तस्वीर लगभग साफ हो गई है। इन तस्वीरों में भाजपा ने अपनी स्पष्ट जीत दर्ज करा ली है। मतगणना के शुरुआती एक घंटे में ही भाजपा ने आप और कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ते हुए निर्णायक बढ़त हासिल कर ली। नतीजों के अनुसार कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से बेहतर प्रदर्शन किया है।
दिल्ली नगर निगम चुनावों में कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि वे आम कार्यकर्ताओं की तरह पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं। दिल्ली के कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको ने भी अपने पद से इस्तीेफा दे दिया है।
बेशक दिल्ली नगर निगम चुनावों में एग्जिट पोल में भाजपा जीत रही हो लेकिन बुधवार 26 अप्रैल को मतगणना के बाद साफ हो जाएगा कि किसकी किस्मत का पिटारा खुलेगा और किसका बंद होगा।
दिल्ली नगर निगम के 270 वार्डों के लिए आज मतदान संंपन्न हो गया है। इस दौरान ईवीएम मशीनाेें में कई जगह गड़बड़ियों की शिकायतें आईं लेकिन मोटे तौर पर मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
आज दिल्ली के तीनों नगर निगमाेेंं की 270 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। मतदान की शुरुआत काफी धीमी रही। सुबह 11 बजे तक सिर्फ 7.67 प्रतिशत मतदान की सूचना है। इससे पहले 10.30 बजे तक केवल 1.16 फीसदी वोट पड़े थे। दिल्ली की दिग्गज हस्तियां अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए घर से निकली रही हैं, लेकिन आम जनता में उतना जोश देखने को नहीं मिल रहा है।
चुनाव आयोग ने अन्नाद्रमुक के नाम और उसके चुनाव चिन्ह दो पत्ती पर रोक को बरकरार रखने का फैसला किया है। दरअसल, दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों ने अपने दावों को लेकर ताजा दस्तावेज सौंपने के लिये और वक्त मांगा है।