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भावनाओं पर भारी हकीकत

भावनाओं पर भारी हकीकत

साल 2018 देश के लिए एक अहम संदेश लेकर आ रहा है। यह संदेश देश का आम आदमी राजनैतिक दलों से लेकर अपना आधार...
पीएम मोदी को चिदंबरम की चुनौती, कहा- नोटबंदी नाकाम रही यह स्वीकार करने का साहस दिखाएं

पीएम मोदी को चिदंबरम की चुनौती, कहा- नोटबंदी नाकाम रही यह स्वीकार करने का साहस दिखाएं

चिदंबरम का मानना है कि नोटबंदी के फैसले से 1.5 लाख रोजगारों का नुकसान हुआ और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.4 प्रतिशत अंक तक की कमी आई है।
कुदरत के कहर का सामना करते देश के ये पांच राज्य

कुदरत के कहर का सामना करते देश के ये पांच राज्य

देश के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश होने से बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं। बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और असम में इस आपदा की चपेट में आने से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
सल्तनत चली गई, लेकिन हम खुद को सुल्तान समझ रहे हैं: जयराम रमेश

सल्तनत चली गई, लेकिन हम खुद को सुल्तान समझ रहे हैं: जयराम रमेश

कांग्रेस के विरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस आज "अस्तित्व के संकट" का सामना कर रही है। रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की चुनौतियों का सामना करने के लिए पार्टी के सभी नेताओं द्वारा "सामूहिक प्रयास" करने की जरूरत है।
आलोचनाओं के बीच हसन रूहानी का नया कार्यकाल शुरू

आलोचनाओं के बीच हसन रूहानी का नया कार्यकाल शुरू

ईरानी में राष्ट्रपति हसन रूहानी के नये कार्यकाल के शुरू होते ही उनकी आलोचनाओं का दौर भी शुरू हो गया है। उनके ऊपर रूढ़िवादियों को परेशान करने के आरोप लग रहे हैं। 68 वर्षीय धार्मिक नेता रूहानी को उदारवादी माना जाता है।
मीरा कुमार ने कहा- बाबूजी ने मुझे सिद्धांतों के लिए लड़ना सिखाया

मीरा कुमार ने कहा- बाबूजी ने मुझे सिद्धांतों के लिए लड़ना सिखाया

विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज बाबू जगजीवन राम को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए नमन किया। इनसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी वंचितों के मसीहा के तौर पर देखे जाने वाले बाबू जगजीवन राम को श्रद्धांजलि दी।
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष - मलावी की रंजकहीनता विकास को एक चुनौती

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष - मलावी की रंजकहीनता विकास को एक चुनौती

विश्व स्वास्थ्य संगठन 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाता है। ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ के मौके पर अगर हम विभिन्न देशों के विकास, रहन-सहन और सेहत पर कोई टिप्पणी करें तो उसमें हमें मलावी की रंजकहीनता पर जरुर कुछ जानने की जरुरत है। कैसे यह देश रंजकहीनता की त्रासदी झेल रहा है। विकास के ढेकेदार आधुनिकता के लाख दावे कर लें पर अभी भी इस जहां में कितने लोग ऐसे हैं जो एक सामान्य जीवन को पाने को तरस रहे हैं। पिछले कई सालों में देश-विदेश हर जगह कई ऐसी बीमारियों के बारे में सुनने को मिला, जिसका नाम हमने पहले कभी नहीं सुना था जैसे इबोला, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू आदि। इन बीमारियों ने देश-विदेश हर जगह लोगों के बीच अपना पांव पसार लिया है। इन बीमारियों से ग्रसित लोगों की परेशानियों और मृत्यु दर के आंकड़ों को देखकर यह अनुमान लगाया गया कि ये रोग कितने घातक साबित हो रहे हैं। ऐसी बीमारियों से पीड़ित लोग इनके बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण या फिर गलत इलाज होने के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। ऐसा कहा जाना गलत न होगा कि कुछ देशों की खुशहाली पूरे दुनिया की रौनक नहीं कही जा सकती। आज भी कहीं-कहीं मानव समाज में गरीबी, भूख, कुपोषण का घनघोर अंधेरा व्याप्त है। इसी बानगी में आप मलावी की रंजकहीनता को जानेंगे तो आपको निराशा होगी।
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