अपने कुछ पुराने नोट बदलवाने में सफल नहीं होने पर एक गरीब और हताश महिला ने बुधवार को दिल्ली में आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय के सामने अपने कपड़े उतार कर विरोध जताया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी :राकांपा: ने नोटबंदी की 50 दिनों की मियाद पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए देश के नाम संबोधन को धोखा करार देते हुए मंगलवार को कहा कि वह केंद्र सरकार के इस कदम से हुए नुकसान से जनता को अवगत कराने के लिए नौ जनवरी से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगी।
केंद्र की मोदी सरकार के लिए 2017 का साल करो या मरो का होगा। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार कैसे 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए नोटबंदी से हुए संभावित 2.20 लाख करोड़ रुपये के लाभ का इस्तेमाल करती है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नववर्ष की पूर्व संध्या पर खेद जताते हुए प्रतीत हुए क्योंकि नोटबंदी पर 50 दिनों का उनका शुद्धि यज्ञ जंगल की बेकाबू आग में तब्दील हो गया है, जिसमें कई लोगों की जान जा चुकी है और अर्थव्यवस्था पंगु हो गई है।
आर्थिक विशेषज्ञों का सुझाव है कि नोटबंदी के झटके से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये आगामी बजट में कुछ कदम लीक से हटकर उठाए जाने चाहिए। बाजार में मांग बढ़ाने के उपाय करने के साथ-साथ व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये की जानी चाहिये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को बजट पूर्व भाषण करार देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री काले धन एवं नोटबंदी के वास्तविक एजेंडा से भटक गए।
कांग्रेस ने गुरुवार को मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब नववर्ष की पूर्वसंध्या पर बोलें तो उन्हें नोटबंदी के कारण जनता को हुई परेशानियों के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। पार्टी ने छह जनवरी से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का एेलान किया।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की माने तो नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान नहीं हुआ है। वित्त मंत्री ने जो आंकड़े पेश किए उसके हिसाब से नोटबंदी के बाद राजस्व बढ़ा है। वित्त मंत्री ने ये भी कहा है कि कई क्षेत्रों में कारोबार भी बढ़ा है और खेती को भी कोई नुकसान नहीं हुआ है।
शिवसेना ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि मध्यम वर्ग को परेशान कर देने वाले नोटबंदी के कदम की तरह कहीं बेनामी संपत्तियों का कानून आम आदमी को चोट न पहुंचा दे।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में रुपये निकालने के लिये बैंक के आगे कतार में खड़े एक बुजुर्ग की ग़श खाकर गिरने से मृत्यु हो गयी। नोटबंदी के करीब 48 दिनों बाद भी देश में हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। बैंकों और एटीएम के बाहर लगी कतारेंं इसकी गवाही दे रही हैं।