एक तरफ तो यह नीतियां किसान को कर्जदार बनाती है, तो वहीं दूसरी ओर किसानों को कम समर्थन मूल्य और खुले बाजार को ताकत देकर किसानों को ऐसी स्थिति में पंहुचाती है, जहां वे ब्याज तो छोड़िये, मूलधन भी चुकाने की स्थिति में नहीं रह जाते हैं।
ब्याज दरों मे कटौती के बाद होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन और बिजनेस लोन सस्ता होने की उम्मीद है। आरबीआई के इस कदम के बाद ब्याज दरें सात साल के न्यूतम स्तर पर आ गई हैं।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर की धीमी रफ्तार की वजह अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने मोदी सरकार द्वारा अचानक की गई नोटबंदी, आरबीआई की पॉलिसी और रुपये की मजबूती को बताया है।
महाराष्ट्र और पंजाब सरकार के बाद कर्नाटक सरकार ने भी किसानों की कर्ज माफी का फैसला लिया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की है।
एक ओर जहां किसान कृषि उत्पादों का उचित दाम नहीं मिल पाने की चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं, वहीं अब इसकी बानगी आंकड़ों में भी दिखाई देने लगीं हैं। मई माह में महंगाई दर 3.85 फीसदी के मुकाबले घटकर 2.17 फीसदी हो गई है। इस दौरान खाद्य एवं कृषि उत्पादों की महंगाई दर में भारी कमी दर्ज की गई है।