जेपी इंफ्राटेक ग्रुप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख बरकरार है। कोर्ट ने बिल्डर को फटकार लगाते हुए कहा कि स्वार्थी न बनें और खरीदारों की फिक्र करें।
समाचार एजेंसी के मुताबिक, कोर्ट ने निजी स्कूलों से कहा है कि वो कैश, एफडी या ड्राफ्ट के रूप में ये पैसा जमा करा सकते हैं। बता दें कि 2006 से 2009 तक 32 महीने की फीस मनमाने ढंग से वसूली गई।
सरकार ने व्यक्तियों के लिए आयकर विवरण दाखिल करने का एक नया और ज्यादा आसान फार्म आईटीआर-। शुक्रवार को अधिसूचित किया। यह फार्म आकलन वर्ष 2017-18 के लिये शनिवार से उपलब्ध होगा। इसके साथ ही नोटबंदी के बाद दो लाख रुपये या अधिक राशि की जमाएं करने वाले करदाताओं को इसका खुलासा नये आयकर रिटर्न आईटीआर फार्म में करना होगा।
नोटबंदी की अवधि के दौरान देश से बाहर गए भारतीयों के लिए 500 और।,000 के पुराने नोटों को बदलने की सुविधा शुक्रवार को समाप्त हो गई। नोट बदलने के लिए सीमित काउंटरों तथा प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी के अभाव में बड़ी संख्या में लोग रद्द नोटों को नई मुद्रा से बदलवा पाने में विफल रहे हैं।
नोटबंदी के बाद काले धन पर छापेमारी में बरामद हो रही भारी भरकम नकदी को देखते हुए सरकार आने वाले दिनों में इसे घर पर रखने की सीमा भी तय कर सकती है। ऐसा होने पर कोई भी व्यक्ति एक निश्चित सीमा से अधिक धनराशि कैश में नहीं रख पाएगा।
नोटबंदी के बाद पैसा जमा कराने और निकालने के लिए समूचा देश बैंकों की लाइनों में लगा हुआ है। घंटों लाइनों में लगकर लोगों का हार बुरा है। लाइनों में भीड़ से कुछ की खड़े खड़े मौत हो रही है तो कुछ लोगोंं के पैसेे चोरी होने की घटना देखने को मिल रही है।
नोटबंदी के ऐलान के बाद मोदी सरकार ने दावा किया था कि इससे काला धन बर्बाद होगा लेकिन जिस तेजी से बैंकों में पुराने नोटों के भंडार भर रहे हैं, उससे ये दावे खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को बंद कर दिए जाने के के बाद सरकार खुद अपने अनुमानों में घिरती नजर आ रही है।
कालेधन को जमा कराने के लिए लोगाें की तिकड़म को रोकने के लिए सरकार का अभियान अब और तेज हो गया है। सरकार ने बैंक में पैसा जमा कराने वालों के हाथ पर स्याही का इस्तेमाल करेगी। सरकार के इस तरीके के जरिए अब कालेधन को सफेद करने वालों पर गहनता से नजर रखी जाएगी।
स्विट्जरलैंड की बैंकिंग प्रणाली की गोपनीयता के खिलाफ वैश्विक स्तर पर चल रहे अभियान के बीच स्विस बैंकाें में भारतीयों की जमा राशि करीब एक-तिहाई यानी 33 प्रतिशत घटकर 1.2 अरब फ्रैंक :करीब 8,392 करोड़ रुपये: रह गई है।