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CBI छापे पर गिरिराज सिंह ने कहा- अब मौनी बाबा बने क्यूं बैठें है नीतीश कुमार

CBI छापे पर गिरिराज सिंह ने कहा- अब मौनी बाबा बने क्यूं बैठें है नीतीश कुमार

सीबीआई के शिंकजे में फंसे लालू यादव के ठिकानों पर छापेमारी के बाद राजनीतिक माहौल काफी गर्मा गया है। एक के बाद एक नेता लालू यादव पर अपनी प्रतिक्रिया देने में लगे हुए हैं। वहीं, इस कतार में शामिल केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मामले को लेकर बिहार के सीएम पर हमला बोला है।
भाजपा नेता गिरिराज सिंह बोलेे, अब नोटबंदी के बाद लागू हो नसबंदी

भाजपा नेता गिरिराज सिंह बोलेे, अब नोटबंदी के बाद लागू हो नसबंदी

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह नेे कहा है कि नोटबंदी के बाद अब देश में नसबंदी के लिए सख्‍त कानून बनने की अत्‍यंत जरूरत है। गिरिराज सिंह बिहार भाजपा के दूसरे वरिष्ठ नेता हैं जिन्होंने नोटबंदी के बाद नसबंदी की जोरदार ढंग से वकालत की है।गिरिराज बिहार के नवादा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक हैं।
बिहार भी अलगाववादियों का गढ़ बनता जा रहा है : गिरिराज सिंह

बिहार भी अलगाववादियों का गढ़ बनता जा रहा है : गिरिराज सिंह

केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्‍ठ नेता गिरिराज सिंह ने सावधान करते हुए कहा है कि कश्‍मीर के बाद बिहार में भी अलगाववादियों का बढ़ावा मिल रहा है। अलगाववादियों की यहां नर्सरी चल रही है। लेकिन इसे कोई रोकने वाला नहीं है।
नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।
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