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Search Result : "issue of water shortage"

राजेंद्र सिंह बोले, 2 लाख 65 हजार गांवों मे पीने का पानी नहीं होना चिंता का विषय

राजेंद्र सिंह बोले, 2 लाख 65 हजार गांवों मे पीने का पानी नहीं होना चिंता का विषय

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेन्द्र सिंह ने कहा कि रिवर और सिवरेज सिस्टम अलग नहीं होने के कारण देश की नदियां मैला ढोने वाली मालगाड़ियां बन गई हैं। देश में 2 लाख 65 हजार गांवों मेंं पीने लायक पानी नहीं होना चिंता का विषय है। उन्‍होंने कहा कि जल तंत्र को बेहतर करने के लिए सघन प्रयास करने होंगे।
गौवंश से बढ़ेगा राजनैतिक कुनबा

गौवंश से बढ़ेगा राजनैतिक कुनबा

बीते दिनों जब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग ने दिल्ली में गौ शालाओं पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया तो गौ शालाएं अचानक से खबरों में आ गईं। अब तक गौ शालाओं का संचालन ऐसा काम नहीं था जिस पर चर्चा की जाए। हिंदुत्व, गाय, गंगा के मुद्दे पर हमेशा ही मुखर रहने वाली मौजूदा सरकार ने अब गौ शालाओं पर काम करना शुरू किया है।
तंबाकू से दक्षिण पूर्व एशिया में हर घंटे 150 लोगों की मौत: डब्ल्यूएचओ

तंबाकू से दक्षिण पूर्व एशिया में हर घंटे 150 लोगों की मौत: डब्ल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि तंबाकू का सेवन भारत समेत दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। संगठन ने कहा है कि इसके सेवन से हर घंटे औसतन 150 लोगों की मौत होती है। डब्ल्यूएचओ ने सादी पैकेजिंग की वकालत की है जिसमें तंबाकू उत्पादों से ब्रांड और प्रचार संबंधी सूचना हटाना अनिवार्य बनाया जाए।
उत्तर प्रदेश चुनाव में राम से बड़ा हो गया विकास मुद्दा

उत्तर प्रदेश चुनाव में राम से बड़ा हो गया विकास मुद्दा

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि भाजपा अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अयोध्या में राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर नहीं बल्कि विकास के मुद्दे पर लड़ेगी क्योंकि राम मंदिर निर्माण राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक मुद्दा है।
बहस शुरु, क्या जल को समवर्ती सूची में शामिल कर लिया जाए

बहस शुरु, क्या जल को समवर्ती सूची में शामिल कर लिया जाए

भूजल स्तर में लगातार गिरावट आने, शहरों का विस्तार होने के बावजूद बुनियादी सुविधाओं की कमी, जलवायु परिवर्तन, देश के 20 राज्यों में जल विषाक्तता के बीच जल के समुचित उपयोग एवं संरक्षण को लेकर एक समग्र, व्यापक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग के साथ जल को संविधान की समवर्ती सूची में रखने के विचार पर बहस शुरू हो गई है।
नक्शे से जुड़े भारत के विधेयक पर भड़का पाकिस्तान, यूएन पहुंचा

नक्शे से जुड़े भारत के विधेयक पर भड़का पाकिस्तान, यूएन पहुंचा

पाकिस्तान ने कश्मीर के नक्शे से संबंधित भारतीय संसद के मसविदा विधेयक पर संयुक्त राष्ट्र में गहरी चिंता जताई है। पाकिस्तान ने वैश्विक संस्था से कहा है कि वह अपने प्रस्तावों को बरकरार रखे और भारत को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने वाले इन कृत्यों को बंद करने के लिए कहे।
गंगा में पानी हो रहा कम, निर्मल और अविरल धारा की कलकल हो जाएगी धीमी

गंगा में पानी हो रहा कम, निर्मल और अविरल धारा की कलकल हो जाएगी धीमी

किसी भी नदी की अविरल धारा बनाये रखने के लिए नदियों में देशांतरीय संयोजना एवं पर्याप्त प्रवाह जरूरी है लेकिन गंगा नदी में सर्दी और गर्मी के महीने में कई स्थानों पर पानी का प्रवाह रूक जाता है, साथ ही गंदे जल एवं औद्योगिक अपशिष्ट का प्रवाह जारी रहता है। इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की धारा की निर्मलता, पर्याप्त प्रवाह एवं स्वच्छता को बहाल करने को सरकार प्रमुखता दे रही है।
जानिएं, क्‍यूं रालेगण सिद्धि में ही अन्‍ना का हुआ विरोध

जानिएं, क्‍यूं रालेगण सिद्धि में ही अन्‍ना का हुआ विरोध

अन्‍ना के जल संरक्षण मॉडल से उनके गांव वाले ही उनसे नाराज हो गए हैं। अन्‍ना के सामाजिक जीवन में शायद यह पहली बार हो रहा है। जब उनके अपने लाेगों ने ही उनका विरोध किया है। गांव के किसान वाटर लेबल में सुधार के लिए बोरवेल भरे जाने की अन्‍ना की मुहिम को दरकिनार करते हुए एकमत होकर कहा है कि हम हर बार अन्‍ना की नहीं सुनेंगे।
जरा इधर भी ध्यान दें, सेना में 8600 अधिकारियों की है कमी

जरा इधर भी ध्यान दें, सेना में 8600 अधिकारियों की है कमी

सेना में चिकित्सा और दंत चिकित्सा कोर तथा सैन्य नर्सिग सेवा को छोड़कर 8,671 अधिकारियों की कमी है। यह जानकारी उच्च सदन राज्‍यसभा में दी गई।
पानी के लिए त्राहिमाम

पानी के लिए त्राहिमाम

देश पानी के भीषण संकट से गुजर रहा है। मराठवाड़ा के हालात पर हर दिन चर्चा हो रही है। सुरक्षा बल के साथ वहां पानी की ट्रेन भेजी गई और कई लोग पूरे दिन में सिर्फ एक गिलास पानी पर रहने को मजबूर हैं। उत्तर प्रदेश में पानी हर साल संकट और तबाही का कारण बनता रहा है। किसी साल बाढ़ तो किसी साल सूखे की त्रासदी झेलने को मजबूर उार प्रदेश में गर्मी का मौसम शुरू होते ही 50 जिले सूखे की चपेट में आ गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो दशकों में कभी भी मार्च के अंत और अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ऐसे विकराल रूप में सूखा नहीं पड़ा। उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त की मानें तो राज्य के पचास जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। ऐसे 21 जिले हैं जिसमें किसानों को 33 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ है। जहां तक सूखा पीड़ित क्षेत्रों के किसानों को सरकारी मदद का सवाल है, यह मदद उन्हीं किसानों को दी जाएगी जिनकी 33 प्रतिशत से अधिक फसल नष्ट हुई है। अभी मई और जून की भीषण गर्मी के दिनों में और भी जिलों के सूखा प्रभावित होने आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पूर्वी उत्तर प्रदेश के चार मंडलों के बीच जिलों में पानी के स्रोत सूख चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे खतरनाक स्थिति भूगर्भ जल स्तर के औसतन छह से नौ फुट तक नीचे जाने के कारण उत्पन्न हुई है। इन जिलों के डेढ़ हजार से अधिक कुओं का जलस्तर न्यूनतम होने के कारण कुएं सूख गए हैं। 80 प्रतिशत से अधिक हैंडपंप सूख चुके हैं।
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