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यादों के संदूक में शब्द

यादों के संदूक में शब्द

बचपन सभी का सुनहरा होता है। इसी बचपन की यादों का पिटारा जब शब्दों में सहेज लिया जाता है तो किताब बन जाता है। ऐसी ही एक किताब है आर के नारायण की। उनके बचपन के संस्मरणों पर आधारित इस किताब का नाम है, मेरी जीवन गाथा।
मिसिंग पर्सन पुस्तक हिंदी में

मिसिंग पर्सन पुस्तक हिंदी में

हर व्यक्ति का अपना एक अतीत होता है। बल्कि कहना गलत न होगा कि हमारा वर्तमान हमारे अतीत की नींव पर टिका होता है। ऐसे में अगर हमारे भीतर से अतीत विस्मृत हो जाए तो हमारा पूरा वजूद डावांडोल होने लगता है। हम अपनी पहचान के संकट से आक्रांत हो उठते हैं। ऐसे में किसी संवेदनशील व्यक्ति का अपने अतीत की तहों में उतरकर स्मृतियों के रेशे तलाशना स्वाभाविक है।
केएस तूफान की कहानी - बुद्धिमत्ता

केएस तूफान की कहानी - बुद्धिमत्ता

3 जून 1944 को नजीबाबाद, जिला बिजनौर में जन्म। लहरों का संघर्ष लघुकथा संग्रह। स्वप्न भंग, टूटते संवाद कहानी संग्रह। नारी - तन मन गिरवी, कब तक (नारी विमर्श), सफाई का नरक (दलित विमर्श) और अंधेरे में रोशनी (दलित संघर्ष) पर निबंध संग्रह। कई पुरस्कारों से सम्मानित।
यादों के आइने में अमृतलाल नागर

यादों के आइने में अमृतलाल नागर

पिछले दिनों प्रसिद्ध साहित्यकार और नाच्यो मैं बहुत गोपाल, सुहाग के नुपूर जैसी कालजयी कृतियां लिखने वाले अमृतलाल नागर की 99 वीं बरसी पर बालेंदु शेखर मंगल मूर्त्ति ने उनके साथ बिताए पलों को साझा किया।
कांटों के बीच अपनों की चिंता

कांटों के बीच अपनों की चिंता

मनोज की कविताओं में समाज के विविध रंग दिखाई पड़ते हैं। परिवार के प्रति चिंता या अपनों की देखरेख की चिंता भी मनोज शब्दों में ऐसे बांधते हैं कि हर किसी को वह दुख साझा लगता है। सन 2008 के प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के बाद भारतीय भाषा परिषद से तथापि जीवन नाम से काव्य संग्रह। कविताएं लिखने के अलावा अनुवाद के काम में संलग्न रहते हैं।
बिकनी में सासू मां

बिकनी में सासू मां

मेरे अंगने में रूढ़िवादी सास की भूमिका निभा रहीं कृतिका देसाई का रीयल लाइफ अवतार देखकर उनके प्रशंसक सकते में आ सकते हैं। बाली में छुट्टियां मना रही यह खड़ूस सास अपने मेकअप और गेटअप से इतनी परेशान हो गईं कि वहां बिलकुल अलहदा नजर आईं।
दिल्ली के लिए दिली ख्वाहिश

दिल्ली के लिए दिली ख्वाहिश

दो काव्य-संग्रह, नदी के पार नदी (2002), नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, मैं सड़क हूं (2011), बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित। देश की सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं,आलेख,समीक्षाएं प्रकाशित। कुछ संपादित संग्रहों में कविताओं का चयन। हिंदी समय, (महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा) पर काव्य संग्रह' मैं सड़क हूं' की ई पुस्तक सहित कई कविताएं शामिल। कुछ कहानियां/लघु-कथाएं प्रकाशित। दूरदर्शन/आकाशवाणी से कविताओं/कहानियों का प्रसारण।
कहानी: श्यामल सखी तेरी

कहानी: श्यामल सखी तेरी

किशोर चौधरी रेडियो में काम करते हैं और जिंदगी की कहानियां लिखते हैं। चौराहे पर सीढ़ियां बहुत ही चर्चित कथा संग्रह रहा है। उसके बाद धूप के आइऩे में और जादू भरी लड़की को बहुत प्रशंसा प्राप्त हुई। उनकी भाषा और कहानी को बुनने का तरीका उनकी कहानियों को खास बनाता है। उनके तीनों कहानी संग्रह हिंद युग्म से प्रकाशित हुए हैं।
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