नेपाल में बुधवार को एक बार फिर भूकंप के ताजा झटके महसूस किए गए है। मंगवार को यहां आए शक्तिशाली भूकंप में 65 लोगों के मारे जाने के बाद डरे हुए हजारों लोगों ने खुले में ही रात बिताई।
नेपाल में शुक्रवार को भी भूकंप के दो बड़े झटके महसूस किए गए। इस कारण तबाही से जूझ रहे लोगों में दहशत फैल गई। अब तक भूकंप में मरने वालों की संख्या लगभग 8,000 तक पहुंच चुकी है।
भूकंप प्रभावित नेपाल में व्यापक राहत अभियान मैत्री चलाने वाले भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह पड़ोसी देश के पुर्नवास और पुर्ननिर्माण में भी सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में मारे गए 57 विदेशियों में से 41 लोग भारतीय हैं। इमारतों को जमींदोज और बिजली के खंभों व पेड़ों को जड़ों से उखाड़ फेंकने वाला यह भीषण भूकंप अपने पीछे तबाही और दर्द का एक भयावाह मंजर छोड़ गया है। नेपाल पुलिस द्वारा जारी बयान के अनुसार, भूकंप में मरने वाले भारतीयों की संख्या 41 हो चुकी है।
नेपाल में क्षमता है कि वह दक्षिण एशिया के राष्ट्र-राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सके। लेकिन यदि गहरे इतिहास को छोड़ दें तो आधुनिक युग में निरंतर राजनीतिक और प्राकृतिक दुर्घटनाओं ने नेपाल के लोगों के उत्साह और प्रयासों पर पानी फेरा है। इस साल 2015 में नेपाल का महाभूकंप इस देश के लिए एक अवसर प्रदान करता है।
पिछले आठ दशक से भी ज्यादा समय में आए सबसे भीषण भूकंप की त्रासदी का सामना कर रहे नेपाल में भारत सहित दुनिया भर से आए राहतकर्मी पीडि़तों तक पहुंचने और उनको मदद पहुंचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।