अभिनेता आमिर खान अब अतुल्य भारत के ब्रांड एंबेसडर नहीं होंगे। पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने बताया है कि अतुल्य भारत अभियान के लिए आमिर खान का अनुबंध समाप्त गया है।
अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है कि देश में केंद्र में किसकी और राज्य में किसकी सरकार है। खास कर जब धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन की बात होगी। यह तय है कि बिना किसी भेदभाव के राज्य के पर्यटन स्थलों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
यदि फिल्मों का खुमार है तो रंगमंच की दीवानगी भी कुछ कम नहीं है। कुछ तो खास है मंच के इन किरदारों में कि दर्शक बेसब्री से चले आते हैं और इंतजार करते हैं, यवनिका के उठने का।
आम भाषा में कहा जाए तो अब रसोइयों को भी पद्मश्री पुरस्कार मिल सकेगा। देश के नामी-गिरामी शेफ जिन्होंने भारत के साथ विदेश में भी नाम कमाया है उन्हें पद्मश्री दिए जाने की सिफारिश संस्कृति मंत्रालय ने गृह मंत्रालय को भेजी है।
दादरी में मोहम्मद अख्लाख की हत्या के बाद जिस उग्र ढंग से हत्या के पक्ष में केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा और हिंदू संगठनों के नेताओं के बयान आ रहे हैं, उससे गोमांस पर तनाव के लंबे खींचने की आशंका
केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के एक विवादित बयान से राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई है। उन्होंने एक टेलीविजन इंटरव्यू में कह दिया कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम मुस्लिम होने के बावजूद एक राष्ट्रवादी और महान मानववादी थे।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने फेसबुक एकाउंट बंद किए जाने को लेकर अपना विरोध कुछ इस तरह से दर्ज कराया है। पढ़े दिलीप मंडल का पत्र जो उन्होने फेसबुक के लिए लिखा है। उनसे कोई शिकायत नहीं है, जो मेरे नाम की नक़ली प्रोफ़ाइल बनाकर उसपर कुछ कुछ लिख रहे हैं। यह सब शरीर से बड़े हो चुके कुछ बच्चों का खेल है। डायपर पहनकर जो विरोध और विमर्श का तमाशा कर रहे हैं, उन बेचारों पर तो नाराज़ हो पाना भी मुश्किल है। उनकी भाषा उनका परिचय है, उनके हिसाब से उनका "संस्कार" है। प्लीज़, उन्हें माफ़ कर दीजिए।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के फेसबुक एकाउंट को बिना कारण बताए ही फेसबुक ने बंद कर दिया है। इसको लेकर मीडिया जगत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दिलीप मंडल ने बताया कि फेसबुक ने बिना किसी सूचना या चेतावनी के ही उनका एकाउंट बंद कर दिया है।
1990 में जब प्रधानमंत्री विश्वनाथ सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशाें को लागू करने का कदम उठाया तो उस समय पूरी सियासत ही गरमा गई। जगह-जगह वीपी सिंह के पुतले फूकें जा रहे थे और उनकी सरकार भी गिरा दी गई। पच्चीस साल बाद भी मंडल आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं। मंडल आयोग की रिपोर्ट में 13 अनुशंसाएं की गई थीं लेकिन दो ही अनुशंसाएं लागू हो पाईं।
मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के पच्चीस साल पूरे होने पर आरक्षित कौमों को बधाई देता हूं। साथ ही मैं सुप्रीम कोर्ट का भी शुक्रगुजार हूं कि आरक्षण को लेकर कई तरह की बाधाएं पैदा हुई लेकिन हर बात जीत हमारी हुई। जिस दिन मंडल कमीशन लागू किए जाने की घोषणा हुई उस दिन से लेकर आज-तक लगातार किसी न किसी कारण से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जाती रही है। लेकिन इसमें जीत हमेशा आरक्षित कौमों की हुई।