सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने केंद्र सरकार से देश में गौवंश के वध और इनके मांस की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद में सुब्रमण्यम स्वामी को झटका देते हुए मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में जल्द सुनवाई की संभावना से इनकार किया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योग और नमाज की मिलती-जुलती मुद्राओं का जिक्र करते हुए कहा कि नमाज को जाति, पंथ और मजहब के आधार पर बांटने वाले लोग योग में विश्वास नहीं कर सकते।
योगी सरकार में इकलौते मुस्लिम मंत्री मोहसिन रजा ने आज अमीर मुसलमानों से हज सब्सिडी छोड़ने की अपील की है। मोहसिन रजा ने कहा, मैं अमीर मुस्लिम परिवारों से आग्रह करता हूं कि वे अपनी हज सब्सिडी छोड़ दें ताकि जरुरतमंद लोग इसका लाभ ले सकें।
उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट ने अपने बेटे को मुसलमानों से भेदभाव नहीं करने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि बुर्का पहने मुस्लिम महिलाओं ने भी योगी को वोट दिया है इसलिए योगी को उनका ध्यान रखना चाहिए और उनको सभी धर्म के लोगों का दिल जीतना चाहिए।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का दावा है कि तीन तलाक मुद्दे के खिलाफ दायर याचिक पर पूरे भारत से करीब 10 लाख मुस्लिम महिलाओं ने दस्तखत किए हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने इसे मुख्य मुद्दा बनाया था और इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल भी किया था। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषंगिक संगठन की तरह मुसलमानों के बीच काम करता है।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों से लगातार वोट की अपील कर रही बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को कहा कि राज्य में सपा के लगभग पांच साल और केन्द्र में भाजपा के पौने तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान दोनों की गलत नीतियों से प्रदेश की 22 करोड़ जनता नाराज है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुये एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि एक तरफ जहां मोदी मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए गुजरात में दंगे नहीं रोक पाये थे वहीं दूसरी तरफ मुजफ्फरनगर के दंगों को अखिलेश नही रोक पाये, फिर दोनों में क्या फर्क बचा।
अमेरिका की एक स्वतंत्र संस्था ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि भारत में वर्ष 2014 के बाद नाटकीय रूप से घृणा अपराध, सामाजिक बहिष्कार और जबरन धर्मांतरण बढ़ गया है जिससे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों और दलितों को भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।