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दो जबानें एक रास्ता

दो जबानें एक रास्ता

उर्दू और हिंदी के बीच संवाद को बढ़ाने की दिशा में राजकमल प्रकाशन ने एक नई पहल की घोषणा की है। प्रकाशन...
स्मृति लेख : राजकमल चौधरी

स्मृति लेख : राजकमल चौधरी

आज आपका जन्मदिवस है।मेरे लिए दिसम्बर का आगमन ही खुशियों भरा होता है। पहली तारीख को पत्नी का जन्मदिन ,...
पुस्तक समीक्षा : दुड़िया

पुस्तक समीक्षा : दुड़िया

नक्सलवाद की जमीन पर आए इस नए उपन्यास में सबसे अच्छी बात यह है कि नक्सलवाद को समस्या नहीं बल्कि बड़े...
नए दृष्टिकोण से 'शिवाजी'

नए दृष्टिकोण से 'शिवाजी'

इस दौर में जब इतिहास के पन्नों से महापुरुषों और महान व्यक्तियों को फिर से पाठको के समझ रखने का सिलसिला...
चिर युवा कृष्णा सोबती

चिर युवा कृष्णा सोबती

कृष्णा सोबती सबसे उम्र दराज ज्ञानपीठ विजेता हैं। 92 साल की उम्र में भी वह लेखन को लेकर उतनी ही सजग और...
नीतीश को बुद्धिजीवियों का सहारा

नीतीश को बुद्धिजीवियों का सहारा

प्रोफेसर रघुवंश की पुस्तक हम भीड़ के लोकार्पण में दिल्ली आए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने सियासी बोलों की कोई कमी नहीं रखी। समाजवादी रघुवंश के बहाने उन्होंने अपने आपातकाल के किस्से सुनाए और भारतीय जनता पार्टी की तिरंगा यात्रा पर भी कटाक्ष किया। नीतीश ने कहा, ‘यह देख कर अच्छा लग रहा है कि जो लोग तिरंगा को मानते भी नहीं थे वे ही लोग अब तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं।’
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