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नदियों को बांधे-जोड़े बिना बाढ़-सूखे से बचने का नया विज्ञान खोजने की जरूरत

नदियों को बांधे-जोड़े बिना बाढ़-सूखे से बचने का नया विज्ञान खोजने की जरूरत

गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी जैसी नदियों की अविरल धारा और निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए जल विशेषज्ञों ने तालाबों, छोटी नदियों को बचाने के कार्य से ग्राम पंचायतों को जोड़ने तथा नदियों को बांधे और जोड़े बिना बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति से बचने का नया विज्ञान खोजने की जरूरत बतायी है।
‘नोटबंदी से सिर्फ 72,800 करोड़ का लाभ मिलने का अनुमान’

‘नोटबंदी से सिर्फ 72,800 करोड़ का लाभ मिलने का अनुमान’

नोटबंदी से लाखों करोड़ रुपये के राजकोषीय तथा कर लाभ के दावों के बीच एक घरेलू ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि सरकार को इस कदम से सिर्फ 72,800 करोड़ रुपये का ही लाभ होने की संभावना है। इनमें 32,800 करोड़ रुपये करों और जुर्माने से मिलेंगे। वहीं 40,000 करोड़ रुपये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिशेष के स्थानांतरण से मिलेंगे।
विराट का विश्वास अहम था क्योंकि मैं रिटायर हो सकता था : युवराज

विराट का विश्वास अहम था क्योंकि मैं रिटायर हो सकता था : युवराज

कैंसर से संघर्ष के बाद युवराज सिंह ने एक समय क्रिकेट को अलविदा कहने के बारे में सोचा था लेकिन कप्तान विराट कोहली के विश्वास ने उसे ऐसा करने से रोका और उस विश्वास पर खरा उतरना इस धाकड़ बल्लेबाज के लिये लाजमी था।
बाजवा ने संभाली पाक सेना की कमान, राहील ने कश्मीर पर भारत को चेताया

बाजवा ने संभाली पाक सेना की कमान, राहील ने कश्मीर पर भारत को चेताया

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के विशेषज्ञ जनरल कमर जावेद बाजवा ने आज पाकिस्तान के नए सैन्य प्रमुख के तौर पर पदभार संभाल लिया। बाजवा ने जनरल राहील शरीफ की जगह ली है जिन्होंने अपने भाषण में भारत को कश्मीर मुद्दे पर आक्रामक रूख अपनाने के खिलाफ चेतावनी दी है।
नोटबंदी के बाद नमक के लिए जद्दोजहद, दुकानदारों ने उठाया अफवाह का फायदा

नोटबंदी के बाद नमक के लिए जद्दोजहद, दुकानदारों ने उठाया अफवाह का फायदा

देश के कई हिस्सों में नोटबंदी की आड़ में खाने-पीने की आवश्यक वस्तुओं को लेकर अफवाह का बाजार गर्म कर नाजायज फायदा उठाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। शुक्रवार की शाम को राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में नमक को लेकर अफवाह फैली जिसके बाद दुकानों से 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक नमक बेचे गए।
रिटायर हो रहे ड्राइवर को डीएम का तोहफा, खुद गाड़ी चलाकर दफ्तर ले गए

रिटायर हो रहे ड्राइवर को डीएम का तोहफा, खुद गाड़ी चलाकर दफ्तर ले गए

दिल को छू लेने वाली एक पहल के तहत महाराष्ट्र में एक जिलाधिकारी ने बिल्कुल ही निराले अंदाज में सेवानिवृत्त हो रहे अपने ड्राइवर का सम्मान किया। जिलाधिकारी ने ड्राइवर को अपनी सजी-धजी सरकारी गाड़ी में पिछली सीट पर बिठाया और खुद गाड़ी चलाकर कार्यालय तक लेकर गए। सेवानिवृत्ति के दिन अपने उच्चाधिकारी से ऐसी सम्मानजनक विदाई पाकर चालक भाव विह्वल हो उठा।
रिटायर होने के बाद प्रणव दा राष्ट्रपति भवन से सिर्फ निजी किताबें ले जाएंगे

रिटायर होने के बाद प्रणव दा राष्ट्रपति भवन से सिर्फ निजी किताबें ले जाएंगे

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी रिटायरमेंट की तैयारियों में जुटे हैं। जब वे राष्ट्रपति चुने गए थे, तब उन्होंने राष्ट्रपति भवन जाने के पहले कहा था कि वे राजनीतिक जीवन की सरगर्मियों को मिस कर रहे हैं। अब बतौर राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म होने के बाद के जीवन के लिए चुपचाप तैयारी कर रहे हैं। राष्ट्रपति भवन के बाद उनका अगला ठिकाना 34, एपीजे अब्दुल कलाम रोड होगा। वहां वे अपनी पुरानी किताबें ले जाएंगे। बाकी चीजें वे राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय के लिए छोड़ देंगे।
जीएसटी से उपभोक्ताओं को लाभ की उम्मीद

जीएसटी से उपभोक्ताओं को लाभ की उम्मीद

गुड्स ऐंड सविर्सेज टैक्स (जीएसटी) को आजादी के बाद से कर क्षेत्र का सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। जीएसटी से सरकार को अहम फायदे होंगे। इससे मेक इन इंडिया प्रोग्राम को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही कई वस्तुओं पर उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। मौजूदा कर ढांचे और लाल फीताशाही के कारण होने वाली देरी से कारोबार को पांच-10 फीसद नुकसान पहुंचता है, जिसकी भरपाई कारोबारी उपभोक्ताओं की जेब से करते हैं।
ओलंपिक के बाद आराम करना चाहता हूं : राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच संधू

ओलंपिक के बाद आराम करना चाहता हूं : राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच संधू

राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच गुरबक्श सिंह संधू लंबे समय से भारतीय टीम से जुड़े हुए हैं लेकिन उन्होंने अगले महीने होने वाले ओलंपिक के बाद अपने पद से हटने का संकेत दिया, उन्होंने कहा कि वह रियो अभियान खत्म होने के बाद आराम करना चाहते हैं।
ब्र‍ेग्जिट के बाद मेग्जिट का भूकंप : प्‍लीज, लौट आओ मेसी

ब्र‍ेग्जिट के बाद मेग्जिट का भूकंप : प्‍लीज, लौट आओ मेसी

देश बड़ा है या क्‍लब ? जो लोग लियोनेल मेसी के खेल में कोई कमी नहीं ढूंढ़ पाते, वे अंत में यही सवाल उछाल देते हैं। जैसा कि इन दिनों हो रहा है। आलोचक आंकड़ों के जरिये यह कुतर्क दे रहे हैं कि लियोनेल मेसी का दिल देश के लिए नहीं, क्‍लब के लिए धडक़ता है। क्‍लब के लिए वह जी-जान एक कर देते हैं लेकिन देश के लिए उनके मन में तरंगें तक नहीं उठतीं। और यह सब ऐसे खिलाड़ी के लिए कहा जा रहा है जो कई वर्षों से अर्जेंटीना की टीम की ताकत बना हुआ है। जिसके बूते अर्जेंटीना की टीम विश्वकप फाइनल खेलती है, लगातार दो बार कोपा अमेरिका कप के फाइनल में पहुंची है। कोई यह सवाल नहीं उठाता कि अर्जेंटीना तो फाइनल में पहुंचने लायक ही नहीं थी लेकिन इसके बावजूद मेसी उसे यहां तक ले आए। हां, फाइनल न जीत पाने का ठीकरा आलोचक जरूर उनके सिर पर फोड़ते रहे हैं। देश उनके लिए क्‍या है? यह उनका संन्यास का फैसला ही बता देता है।