तुर्की के इस्तांबुल शहर में एक ऐतिहासिक केंद्र के निकट आज पुलिस के वाहन को निशाना बनाकर किए गए बम विस्फोट में सात अधिकारियों और चार नागरिकों की मौत हो गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति के आगामी चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह झड़प एक रैली स्थल के बाहर हुई जहां दंगा रोधी उपकरणों से लैस पुलिस ने 35 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के कटरा शहर की त्रिकूटा पहाड़ियों के जंगलों में मंगलवार को भयंकर आग लग गई। आग पर काबू पाने के लिए बुधवार को वायुसेना के दो एमआई-17 हेलीकॉप्टरों को लगाया गया। त्रिकूटा पहाड़ियों पर ही माता वैष्णो देवी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
गुजरात के निकाय चुनाव राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए झटका साबित हुए हैं। हालांकि राज्य की सभी छह नगर निगमों में पार्टी ने फिर से अपनी सत्ता कायम कर ली है मगर राज्य के ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस ने जोरदार वापसी की है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह जिले मेहसाणा के जिला पंचायत और नगरपालिका दोनों जगह कांग्रेस की जीत हुई है।
दंगा कैसा भी हो कहीं का भी हो उसकी सबसे ज्यादा मार औरतों और बच्चों पर पड़ती है। बीती 25 मई को हरियाणा के गांव अताली में फैली सांप्रदायिक हिंसा में भी ऐसा ही हुआ। इतिहास गवाह है कि दंगों की सबसे कमजोर कड़ी महिलाएं रही हैं। इसे देखते हुए अताली गांव के मुसलमान परिवारों ने 25 मई को हुए पहले हमले के फौरन बाद अपनी बहू-बेटियों महफूज ठिकानों पर भेज दिया। अताली में 4 जुलाई हुए दूसरे हमले में मुसलमान घरों में जवान बहू-बेटियां नहीं थीं।
मैंने मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगों की कवरेज भी की थी। अताली (बल्लभगढ़-हरियाणा) के सांप्रदायिक दंगों और मुजफ्फरनगर के दंगों में बहुत सी समानताएं पाईं लेकिन असमानता है तो सिर्फ एक। वह यह है कि अताली के 150 से ज्यादा गांव छोड़ने वाले मुसलमानों का कहना है, ‘ इसे मुजफ्फरनगर नहीं बनने देंगे, यह अताली है अताली, गांव हमारा था, हमारा है, हम वहां जाएंगे। इंशाल्ला हो सका तो ईद गांव में होगी।’